उन्होंने कहा कि मूल कर्तव्यों का पालन सभी को करना चाहिए, ताकि अच्छे नागरिक बन सके किंतु मूल कर्तव्यों के साथ ही दैनिक जीवन में छोटे-छोटे कई कर्तव्य होते हैं, जिनका उल्लंघन प्रतिदिन किया जाता है। जैसे माता-पिता की आज्ञा न मानना, माता-पिता एवं गुरुजन का सम्मान नहीं करना, दिए गए निर्देशों का पालन नहीं करना आदि। इसी प्रकार दैनिक जीवन में कई कानूनों का भी उल्लंघन किया जाता है। शिविर के प्रारंभ में मुख्य अतिथि मिश्रा ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलित एवं माल्यार्पण किया। तत्पश्चात रावतपुरा कॉलेज के मैनेजिंग ट्रस्टी शातान्नु अग्रवाल ने अतिथियों का स्वागत किया।
शिविर को संबोधित करते हुए अपर जिला न्यायाधीश हितेन्द्र द्विवेदी एवं अपर जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दिनेश कुमार खटीक द्वारा बताया कि स्कूल व कॉलेज में बिना लायसेंस, हेलमेट के बच्चे मटर साईकिल लेकर आते है, जबकि बिना लायसेंस एवं हेलमेट के वाहन चलाना अपराध है। माता-पिता को भी बच्चों को वाहन चलाने की अनुमति 18 वर्ष की आयु हो जाने तथा लायसेंस बन जाने के बाद ही दी जाना चाहिए। बच्चों को अपने जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए तथा हेलमेट और अमूल्य जीवन की तुलना कर, समझना चाहिए कि क्या ज्यादा कीमती है। शिविर में अजय कांत पाण्डे अपर जिला न्यायाधीश द्वारा भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39 ए के अंतर्गत राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से लेकर तहसील विधिक सेवा समिति के गठन के संबंध में जानकारी एवं महत्व के बारे में जानकारी दी। शिविर का संचालन कुशाग्र रावत एवं सुनील त्यागी ने किया। इस अवसर पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रोहित सिंह, ट्रस्टी शैली अग्रवाल, रजिस्ट्रार अरूण कौशिक, प्राचार्य हर्षित चौहान, डॉ. विवेक गुप्ता, प्राचार्य आरके मालवीय, सतेन्द्र दिसौरिया सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।