थाना प्रभारी करण सिंह राठौड़ ने बताया कि हिण्डौन के सिंघान निवासी सुमेरा शर्मा ने मामला दर्ज कराया है कि मंगलवार को उसके बेटे शिवकांत शर्मा (16) को बुखार आया था। जिसे लेकर वह राजकीय अस्पताल में इलाज कराने गया। इस दौरान डॉ. दिनेश मीणा ने शिवकांत का इलाज प्रारंभ किया और बाद में इंफेक्शन का खतरा बताते हुए मरीज को घर लाने को कहा। घर पर 40 हजार रुपए फीस जमा करा दी। इलाज के बावजूद बालक को खोई फायदा नहीं हुआ। सुबह बच्चे की धड़कन नहीं आ रही थी। चिकित्सक एंबुलेंस बुलाकर मरीज को दौसा के लिए रवाना हुए। जहां महुवा बाइपास पर चिकित्सक एम्बूलेंस से उतर गया। बच्चे को लेकर चिकित्सक के घर पहुंचे तो चिकित्सक ने कहा कि बालक की मौत हो गई है। इसे घर ले जाओ। फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
दोपहर तक यूं चला घटनाक्रम
जानकारी के अनुसार युवक की मौत के बाद बड़ी संख्या में मृतक के परिजन व ग्रामीण चिकित्सक के निवास के आगे एकत्रित हो गए। जहां उन्होंने चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इलाज में ठेका पद्धति अपनाने का आरोप लगाया। घटना के बाद उपखंड अधिकारी रतनलाल योगी, तहसीलदार मानसिंह आमेरा, थाना प्रभारी करणसिंह, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी और जिला चिकित्सा अधिकारी सहित उपखंड मुख्यालय के अधिकारी व ग्रामीण मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझाइश की कोशिश की। लेकिन परिजन चिकित्सकों को सस्पेंड करने व उसके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग पर अड़े रहे। कई घंटों तक चली वार्ता के दौरान दोपहर बाद मुकदमा दर्ज होने पर मृतक का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में करवाने पर राजी हो गए। इसके बाद चिकित्सा विभाग व पुलिस की टीम मृतक के शव को लेकर जिला अस्पताल दौसा के लिए रवाना हो गए, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया। सूचना पर बड़ी संख्या में परिजन व ग्रामीण महुवा पहुंचे, जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
जानकारी के अनुसार युवक की मौत के बाद बड़ी संख्या में मृतक के परिजन व ग्रामीण चिकित्सक के निवास के आगे एकत्रित हो गए। जहां उन्होंने चिकित्सक पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए इलाज में ठेका पद्धति अपनाने का आरोप लगाया। घटना के बाद उपखंड अधिकारी रतनलाल योगी, तहसीलदार मानसिंह आमेरा, थाना प्रभारी करणसिंह, ब्लॉक चिकित्सा अधिकारी और जिला चिकित्सा अधिकारी सहित उपखंड मुख्यालय के अधिकारी व ग्रामीण मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझाइश की कोशिश की। लेकिन परिजन चिकित्सकों को सस्पेंड करने व उसके खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग पर अड़े रहे। कई घंटों तक चली वार्ता के दौरान दोपहर बाद मुकदमा दर्ज होने पर मृतक का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल में करवाने पर राजी हो गए। इसके बाद चिकित्सा विभाग व पुलिस की टीम मृतक के शव को लेकर जिला अस्पताल दौसा के लिए रवाना हो गए, जहां पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों के सुपुर्द कर दिया। सूचना पर बड़ी संख्या में परिजन व ग्रामीण महुवा पहुंचे, जहां परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।
इनका कहना है…
आरोप निराधार
इधर, डॉ. दिनेश मीणा ने चिकित्सा में लापरवाही के आरोप को निराधार बताया है। चिकित्सक ने बताया कि मंगलवार शाम को मृतक के परिजन हिंडौन से जयपुर रेफर मरीज को लेकर मेरे घर पर आए। मरीज को ड्रिप लगाकर उसका उपचार किया तथा उन्हें मरीज को जयपुर ले जाने को कही, लेकिन जयपुर नहीं ले गए। बुधवार को अस्पताल से निकलने से पूर्व मरीज जिंदा था। परिजनों द्वारा जयपुर ले जाते समय ही उसकी मौत हुई है।
आरोप निराधार
इधर, डॉ. दिनेश मीणा ने चिकित्सा में लापरवाही के आरोप को निराधार बताया है। चिकित्सक ने बताया कि मंगलवार शाम को मृतक के परिजन हिंडौन से जयपुर रेफर मरीज को लेकर मेरे घर पर आए। मरीज को ड्रिप लगाकर उसका उपचार किया तथा उन्हें मरीज को जयपुर ले जाने को कही, लेकिन जयपुर नहीं ले गए। बुधवार को अस्पताल से निकलने से पूर्व मरीज जिंदा था। परिजनों द्वारा जयपुर ले जाते समय ही उसकी मौत हुई है।
चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र
घटना के बाद सरकारी और निजी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र भेजकर चिकित्सकों पर अनावश्यक दबाव बनाकर उनसे जबरन वसूली करने का आरोप लगाया है। उनके द्वारा भेजे गए पत्र में चिकित्सकों ने बताया कि महुवा क्षेत्र में बीते दिनों अनेक रोगियों की मौत उनकी बीमारी से हो रही है। लेकिन परिजन व अन्य लोगों द्वारा मृतक के शव को चिकित्सकों के घर अथवा सरकारी अस्पताल के बाहर रखकर विरोध जताकर चिकित्सकों पर अनावश्यक दबाव बनाकर उनसे पैसे की मांग की जाती है। उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाया जाता है। इससे चिकित्सकों में भय व्याप्त है, इसलिए ऐसी घटनाओं को रोका जाए, जिससे चिकित्सक निस्वार्थ भाव से बेखौफ होकर चिकित्सकीय कार्य कर सकें।
घटना के बाद सरकारी और निजी चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री के नाम पत्र भेजकर चिकित्सकों पर अनावश्यक दबाव बनाकर उनसे जबरन वसूली करने का आरोप लगाया है। उनके द्वारा भेजे गए पत्र में चिकित्सकों ने बताया कि महुवा क्षेत्र में बीते दिनों अनेक रोगियों की मौत उनकी बीमारी से हो रही है। लेकिन परिजन व अन्य लोगों द्वारा मृतक के शव को चिकित्सकों के घर अथवा सरकारी अस्पताल के बाहर रखकर विरोध जताकर चिकित्सकों पर अनावश्यक दबाव बनाकर उनसे पैसे की मांग की जाती है। उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाया जाता है। इससे चिकित्सकों में भय व्याप्त है, इसलिए ऐसी घटनाओं को रोका जाए, जिससे चिकित्सक निस्वार्थ भाव से बेखौफ होकर चिकित्सकीय कार्य कर सकें।