इसको लेकर सोमवार को करीब तीन दर्जन से अधिक लोगों ने उपखण्ड अधिकारी कार्यालय पहुंच एसडीओ पिंकी मीणा को ज्ञापन सौंप पानी निकास की सुविधा किए जाने की मांग की। पार्षद सुरेन्द्र मीणा ने बताया कि शहर के गुढ़ारोड के वार्ड 30 स्थित अणची का बास, दिल्ली फाटक के आस-पास, मोती नगर, बाल्मीकि बस्ती एवं नारायणपुरा रोड स्थित लोगों के घरों का गंदा पानी 35 साल से रेलवे की ओर से बनाए गए नाले में जा रहा था, लेकिन अब नाला दोहरीकरण में ध्वस्त कर समतलीकरण कर रेलवे ट्रेक बिछाए जाने की तैयारी की जा रही है। इससे गंदा पानी सड़क पर बह रहा है।
वहीं घरों में भी गंदा पानी आने लगा तो कई नालियों को तोड़कर पानी निकास की सुविधा करनी पड़ी। तो कुछ पानी खाली पड़े भूखण्डों में मोड़ दिया गया। इससे संक्रमण फैलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में अब मौका स्थिति को देखते हुए पालिका प्रशासन को शीघ्र पानी निकास की सुविधा कर आमजन को राहत देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो आन्दोलन पर उतारू होना पड़ेगा।
इस पर एसडीओ ने मामले की जांच कर शीघ्र अपेक्षित कार्रवाई किए जाने का भरोसा दिलाया। ज्ञापन सौंपने वालों में उत्तर-पश्चिम रेलवे एम्पलाइज यूनियन मण्डल संयुक्त सचिव माघवेन्द्रसिंह टोनी, धारासिंह, वैद्य पूरणचंद शर्मा, मोहनलाल सैनी, रमेशचंद सैनी, कुंजबिहारी शर्मा, दीनबंधु फोरेस्टर एवं एडवोकेट महेन्द्रसिंह तंवर शामिल थे।
कर चुके हैं विरोध-प्रदर्शन
गुढ़ारोड फाटक से नारायणपुरा जाने वाले मार्ग पर रेलवे विद्युतीकरण के लिए खंभे गाड़े जाने के लिए खुदाई किए जाने पर लोग सड़क पर उतर गए। लोगों ने जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। लोगों का कहना है कि यह मार्ग गुढ़ारोड से कई कॉलोनियों एवं ढाणियों को जोड़ते हुए हाइवे से जुड़ा हुआ है। रेलवे के विद्युतिकरण के लिए पीडब्ल्यूडी की सड़क के बीच खंभे खड़े किए जाने से मार्ग अवरुद्ध हो जाएगा।
इस मार्ग पर स्थित मकानों में रहने वाले लोगों का आवागमन भी अवरुद्ध हो जाएगा। लोगों ने रेल प्रशासन से इन खंभो को सड़क पर नहीं गाड़े जाने की भी मांग की। लोगों ने बताया कि लाखों रुपए खर्च कर मकानों का निर्माण किया, लेकिन अब रास्ता अवरुद्ध हो गया तो परेशानी बढ़ जाएगी।