दरअसल भाजपा हाईकमान विशेष रूप से पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने निकाय चुनाव के दौरान ही यह आदेश दिया था कि हर गुट एक होकर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में कार्य करें। उम्मीदवारों के समर्थन में प्रचार—प्रसार करे। अब भजपा नेताआें के बीच चल रही गुटबाजी कम हुई या नहीं। या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के आदेश का उत्तराखंड के भाजपा नेताआें पर कितना असर पड़ा। यह तो निकाय चुनाव परिणामों से ही पता चल पाएगा।
यहां बताते चलें कि चुनाव के दौरान उत्तराखंड भाजपा के महामंत्री (संगठन) संजय कुमार पर एक स्थानीय महिला ने रेप का आरोप लगाया। हालांकि महिला द्वारा संजय कुमार पर रेप का आरोप लगते ही संघ ने संजय कुमार की उत्तराखंड से छुटी कर दी लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ इसको एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया। माना जा रहा है कि यदि चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में नहीं आए तो संगठन में भारी बदलाव की संभावना है। इस बात का संकेत पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पहले ही दे चुके हैं।
सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की निगाह वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर है। शाह हर हाल में प्रदेश की सभी पांचों संसदीय सीटों पर भाजपा का पताका फहराना चाहते हैं। लेकिन असलियत तो निकाय चुनाव के परिणाम से ही पता चल पाएगा। उत्तराखंड में भाजपा की सरकार को बने करीब डेढ़ साल हो गए हैं। इस दौरान देश की जनता सरकार के काम काज का भी आकलन कर रही है। माना जा रहा है कि बीते निकाय चुनाव में प्रदेश की जनता सरकार के काम काज के आकलन के आधार पर वोटिंग की है। 20 नंवबर को यह पता चल पाएगा कि उत्तराखंड भाजपा और उसकर सरकार की स्थिति क्या है? साथ ही इस निकाय चुनाव का असर वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर किस तरह से पड़ेगा।