कैबिनेट के निम्न फैसलों पर मुहर लगी-
1). राज्य के शुगर मिलों में 403 करोड़ का भुगतान लंबित है। सरकार का निर्णय है कि 2019-20 का जो सत्र खंड है, उसमें नया लाइसेंस लेने की जरूरत नहीं है। नया लाइसेंस भी ले सकते हैं जिसमे कुछ छूट भी दी गई है।
2). न्याय विभाग की उत्तराखंड अधीनस्थ सिविल न्यायालय लिपिक वर्गीय अधिष्ठान में आंशिक संशोधन किया गया है। उत्तरप्रदेश अधीनस्थ सिविल न्यायालय अधिष्ठान का नाम परिवर्तित किया गया है। उत्तरप्रदेश की जगह उत्तराखंड और इलाहाबाद की जगह नैनीताल किया गया है। न्यायिक सेवा नियमविली में आंशिक संशोधन किया गया है।
3). उत्तराखंड वन क्षेत्राधिकारी सेवा नियमावली 2019 की धारा 8—प में संशोधन किया गया है।
4). गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान के ईको सेंसेटिव जोन में संशोधन किया गया है। ईको सेंसेटिव जोन से कई गांवों को बाहर निकाला गया।
5). नंधौर वन्य जोन के ईको सेंसेटिव जोन में संशोधन किया गया है। नंधौर ईको सेंसेटिव जोन से डांडा, कठोल, सहित 3 गांवों को बाहर किया है। यानी 99.5 आरक्षित वन और 0.5 राजस्व क्षेत्र में है।
6). राज्य मोटर नियमावली की धारा 52, 135, 179, आदि में संशोधन किया गया है। वीआईपी नंबर 001 और ‘786’ की मिनिमम बोली को बढ़ाकर एक लाख कर दिया गया है। 11, 22, 33, 44, 55, 66, 77, 88, 99 जैसे नंबर लेने के लिए 25 हजार की बोली होगी। परिवहन कर अधिकारी द्वितीय की वर्दी में भी आंशिक परिवर्तन किया है। बटन के बदले स्टार और काले जूते की जगह भूरे जूते मान्य किए गए हैं।
7). उत्तराखंड स्टेट सीड एंड ऑर्गेनिक प्रोडक्शन सर्टिफिकेशन एजेंसी के ढांचे को मंजूरी दी गई है। इसके लिए 171 पद स्वीकृत किए गए हैं।
8). उच्च शिक्षा में आंशिक संशोधन, सर्टिफिकेट कोर्स इन लिपिक में सी लीव, बी लीव और एम लीव को मान्य किया गया है।
9). एनडीए और आईएमए के अलावा एयरफोर्स और नेवी के लिए प्रोत्साहन राशि 50 हजार रुपए देने को भी मंजूरी मिल गई है।
10). उत्तराखंड अधिनस्थ वन सेवा नियमावली के संशोधन किया गया है। पहले लिखित एग्जाम पहले होगा। फिर शारीरिक दक्षता की जांच होगी।
11). उत्तराखंड लेखा परीक्षा, राजपत्रिका सेवा नियमविली लाई जाएगी।
12). विश्व बैंक से पोषित योजन के तहत किए जाने वाले कार्यो के लिए पहली अर्बन अर्धनगरीय क्षेत्र के लिए पेयजल नियमविली को मंजूरी मिली है। इससे 35 गांवों को लाभ मिलेगा।
13). राज्य पर्यावरण संरक्षण जलवायु परिवर्तन निदेशालय अब पर्यावरण मंत्रालय के नाम से कार्य करेगा। पर्यावरण मंत्रालय के अंतर्गत चार विभाग कार्यरत होंगे। इनमें निदेशालय, पॉल्युशन नियंत्रण बोर्ड, बायो डाइवर्सिटी बोर्ड और, स्टेट एनवायरमेंट इंपैक्ट कमेटी शामिल हैं।
14). हिल्ट्रॉन की नियमावली को मंजूरी मिली। पुरुकुल गांव से बनने वाले रोपवे के लिए पीपीपी मोड में रकम जमा करने के लिए दो किश्त में रुपए जमा करने की अनुमति दी गई है। 150 दिन में सरकार जरूरी कार्य पूरा करके देगी और नहीं देने पर सरकार को पैनल्टी देनी होगी।