जिला प्रशासन के लोगों से बुजुर्ग पिता ने कहा कि घर में दो दो विधवा बहुएं हैं, मासूम बच्चे हैं। अब इनका देखभाल कैसे होगा। बेबस पिता के इन शब्दों को सुनकर हर कोई वहां रो पड़ा।
बता दें कि शहीद के पिता को बेटे की शहादत की जानकारी पहले नहीं दी गई थी। शनिवार को जब शव आने को हुआ तो लोगों ने उनको जानकारी दी। इसके पहले उनके लापता होने की सूचना परिजन ने दी थी। शहीद होने की बात सुनते ही वह रो पड़े।
पिता रामायण मौर्य के अनुसार विजय जब आठ फरवरी को यहां से लौटे तो अगली बार घर बनवाने का वादा कर गए थे। इसके लिए उन्होंने दस लाख रुपये लोन भी लिया था। वह कहे थे कि अधूरे बरामदा का छत पूरा करवा दूंगा लेकिन उनको क्या पता था कि अधूरे बरामदा में ही उनका पार्थिव शरीर रखा जाएगा।
शहीद विजय के पिता रामायण मौर्य की बुजुर्ग आंखें अपने दो दो बेटों के शवों को देख चुकी हैं। दूसरे नंबर के बेटा कृष्ण कुमार की मौत गंभीर बीमारी की वजह से हो चुकी है। इनकी दो बेटियों और विधवा भाभी की जिम्मेदारी भी विजय पर ही थी। अब विजय के शहीद होने की सूचना ने बुजुर्ग पिता को तोड़कर रख दिया है। एक बेटा अशोक गुजरात में अपने परिवार के साथ रहता है।