बुधवार को जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर डॉ. श्रीकांत पांडेय ने जब प्रेसवार्ता बुलाकर निर्वाचन की जानकारी देनी चाही तो उनके सामने यह समस्या बताई। हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया लेकिन किसी ने रिसीव नहीं किया। कलेक्टर ने संबंधित अधिकारी से जवाब मांगा, लेकिन सवाल उठे कि खुद की वाहवाही लूटने में व्यस्त रहने वाले प्रशासन की चुनावी तैयारियां सिर्फ कागजों में है।
दरअसल लोकसभा चुनाव की तैयारियों की जानकारी देने के लिए कलेक्टर ने बुधवार सुबह प्रेस वार्ता बुलाई थी। इसमें कलेक्टर ने आंकड़े बताए और बताया कि प्रशासन किस तरह तैयारियां कर रहा है। इसी दौरान एक मीडियाकर्मी ने सवाल पूछा कि निर्वाचन विभाग ने मतदाताओं के लिए जो हेल्पलाइन नंबर (१९५०) बनाया है उस पर फोन लगाने पर कोई फोन नहीं उठाता। कलेक्टर के सामने ही उक्त नंबर पर कॉल किया गया लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया। कलेक्टर ने संबंधित अधिकारी से जवाब मांगा तो बताया गया कि फोन पर घंटी नहीं आती। इसके बाद प्रशासन की तैयारियों के दावों की पोल खुल गई और चर्चाएं हुई कि जब जिला मुख्यालय पर ही ऐसी अव्यवस्था और लापरवाही है तो तहसीलों में क्या हालत होगी।
अधिकारी नहीं उठाते फोन इस मामले की जानकारी के लिए कलेक्टर डॉ. पांडेय को फोन लगाया लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। यह पहली बार नहीं है जब ऐसा हुआ है। निर्वाचन या प्रशासन से जुड़े अधिकांश मामलो में कलेक्टर को फोन लगाने पर वे फोन नहीं उठाते। हाल ही में नगर निगम परिसीमन के मामले को लेकर भी कलेक्टर से संपर्क किया था लेकिन उन्होंने फोन नहीं उठाया। यही हाल अधीनस्थ अधिकारियों का है। एडीएम तक फोन नहीं उठाते। इसके चलते प्रशासनिक व्यवस्था सवालों के घेरे में है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि निर्वाचन जैसे महत्वपूर्ण कार्य के समय भी अफसरों की संवादहीनता बनी हुई है।