सोनकच्छ के बजाज परिवार के घर रक्षाबंधन के दिन मातम छा गया। उनके घर के बेटे, बहू और दो बच्चे नरसिंहपुर के पास ट्रक हादसे का शिकार हो गए। उनकी बहू जबलपुर के दीनदयाल चौराहे के पास स्थित मायके जा रही थी। वहां उनके पांच भाई राखी बंधवाने का इंतजार कर रहे थे।
हम से क्या गुनाह हुआ भगवान :-:
हादसे की खबर जैसे ही भाइयों को लगी तो पूरे मोहल्ले में मातम छा गया। हादसे की खबर सुन हर कोई गमगीन हो गया था। सभी का रो-रोकर बुरा हाल था। सभी भाई कह रहे थे कि हमारी इकलौती बहन अपने परिवार सहित राखी के दिन ही हमें छोड़कर चले गई। हम से क्या गुनाह हो गया भगवान।
पूरे परिवार की अर्थी उठी :-:
नरसिंहपुर की गाडरवाड़ा तहसील के नांदनेर गांव में सोमवार सुबह लोडिंग वाहन पलट जाने से तेल के डिब्बों के नीचे आ जाने के कारण वीरेंद्र (वीरू) मिजाजी सहित पत्नी पूजा और दो बच्चों की मौत हो गई थी। इनके शव एंबुलेंस के माध्यम से सोनकच्छ लाए गए। वीरेंद्र के सोमवारिया स्थित घर पर मातम छा गया। शोक के माहौल को देखते हुए चारों शवों को ज्यादा देर तक नहीं रहने दिया। वीरेंद्र मिजाजी बचपन से अपने मामा राधेश्याम बजाज के यहां रह रहे थे और लंबे समय से किराना दुकान का संचालन कर रहे थे।
मुख्यमंत्री भी हुए दुखी :-:
इस घटना पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दुखी हो गए। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि नरसिंहपुर के गाडरवारा के पास ग्राम नादनेर के निकट हुए सड़क हादसे में एक ही परिवार के चार सदस्यों की मृत्यु होने का अत्यंत दुःखद समाचार मिला। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूँ कि वे दिवंगत आत्माओं को शांति दें और उनके परिजनों को इस असीम दुःख को सहने की शक्ति दें।
बसें बंद तो लोडिंग वाहन से गए :-:
लॉकडाउन में बसें बंद होने से बहन पूजा अपने भाई के पास रविवार रात करीब 11:30 बजे आइशर वाहन में पीछे बैठकर गए थे। उन्होंने बैठने के लिए पल्ली और गादी बिछाई थी। सोनकच्छ से पति और दोनों बेटों के साथ वो रवाना हुई थी। भाई की कलाई पर राखी बांधने के जुनून में ट्रक पर बैठकर जबलपुर जा रही बहन सहित हंसता-खेलता पूरा परिवार तेल से भरे कंटेनर से टकरा गया। यह हादसा गाडरवाड़ा तहसील के नांदनेर गांव में सोमवार तड़के करीब 5.30 बजे हुआ।
पुलिस के मुताबिक सोनकच्छ निवासी किराना व्यवसायी 35 वर्षीय वीरेंद्र पुत्र ओमप्रकाश मिजाजी 32 वर्षीय पत्नी पूजा के कहने पर अपने ससुराल जबलपुर के लिए रविवार रात को सोनकच्छ स्थित घर से तेल के कंटेनरों से भरे ट्रक पर सवार होकर निकले थे। उनके साथ उनके दोनों बेटे लक्ष्य और मयंक भी थे। ट्रक ड्राइवर ने इन्हें कंटेनरों पर बिस्तर बिछाकर सोने की इजाजत दी थी, लेकिन किसे पता था कि वे अब सुबह उठ नहीं पाएंगे। सोमवार तड़के नांदनेर गांव के पास ट्रक के पलटने पर ये दंपती और उनके बच्चे 20-20 लीटर के दर्जनों कंटेनरों में दबकर हमेशा के लिए सो गए।