उल्लेखनीय है कि ठंड का सीजन शुरू होने के साथ ही जिले में संक्रमण का ग्राफ एक बार फिर से बढ़ने लगा है। ऐसे में स्थिति को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग की ओर से कोरोना सामुदायिक सघन सर्वे अभियान भी चलाया जा रहा है। इसके तहत घर-घर जाकर सर्दी, खांसी और बुखार समेत अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित मरीजों की पहचान की जा रही है। लक्षण वाले मरीजों को अनिवार्य रूप से कोरोना टेस्ट कराने के लिए कहा जा रहा है। इसके बाद भी वे ध्यान नहीं दे रहे हैं। कई घरों में तो सर्वे टीम के सदस्यों से जानकारी भी छिपाई जा रही है।
यही वजह है कि सर्वे के बाद भी वास्तविक कोरोना संक्रमितों की समय पर पहचान नहीं हो पा रही है। इससे स्वास्थ्य कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। उधर संक्रमण पर अंकुश लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग पर दबाव काफी बढ़ गया है। इसी के चलते अब सप्ताह वर्चुअल मीटिंग कर ब्लाकवार संक्रमण के नए केस और मृत्यु दर की समीक्षा की जा रही है।
इस दौरान चिकित्साधिकारियों को हर हाल में संदिग्ध मरीजों का कोरोना टेस्ट कराने पर जोर दिया जा रहा है, लेकिन जनप्रतिनिधियों से अपेक्षित सहयोग नहीं मिलने से कार्यकर्ता भी असमंजस में पड़ गए है। सूत्रों की माने तो दिसंबर माह के प्रथम सप्ताह से ही कोरोना संक्रमण की दर में बढ़ोत्तरी हुई है। बीते 24 नवंबर से 2 दिसंबर तक की स्थिति में 331 कोरोना के नए पॉजीटिव मरीज मिले हैं। वहीं पिछले आठ महीने में 94 संक्रमित मरीजों की मौत हुई है। मौत का यह आंकड़ा अभी भी थमने का नाम नहीं ले रहा है।