कर रहे हैं गोलमाल
उल्लेखनीय है कि कुपोषण को दूर करने गर्म भोजन परोसने प्रति बच्चे 5 रुपए 50 पैसे रोजाना खर्च किया जाता है। बीते छह महीने में महिला एवं बाल विकास विभाग करीब 6 करोड़ रुपए खर्च कर चुका हैं। विभाग की ओर से आंगनबाडिय़ों में पूरक आहार सप्लाई करने की जिम्मेदारी महिला समूह को दी गई है। वे निर्धारित समय में चावल, दाल, सब्जी, रेडी-टू-ईट समेत अन्य सामग्री उपलब्ध करा देते हैं। आंगनबाड़ियों में बच्चों की अनुपस्थिति कम होने के बाद भी कुछ कार्यकर्ता, उपस्थिति ज्यादा बताकर राशन में गोलमाल करते हैं। वे नियमित रूप से आंगनबाड़ी नहीं आने वाले बच्चों को लाने का प्रयास नहीं करते हैं। इसके चलते बच्चे सामान्य स्तर पर नहीं आ रहे हैं।
सिर्फ की जा रही खानापूर्ति
छोटे बच्चों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए राज्य सरकार की ओर से पूरक पोषण आहार, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान संचालित है। पालक रामकुमार शर्मा, राजाराम वट्टी, रमेश साहू का कहना है कि हर साल इस पर करोड़ों रुपए खर्च कर दिया जाता हैं, लेकिन डीपीएम समेत सेक्टर अधिकारियों को मानिटरिंग की फुर्सत नहीं मिल रही है। आंगनबाड़ी केन्द्रों में परोसे जा रहे पूरक पोषण आहार की गुणवत्ता तक देखा नहीं जा रही है। यही वजह है कि जिले के अधिकांश सेक्टरों में सुपोषण अभियान को गहरा झटका लगा हैं।
पालकों की उदासीनता पड़ रही भारी
उल्लेखनीय है कि जिले के 1102 आंगनबाड़ी केन्द्रों की निगरानी के लिए राज्य सरकार ने बच्चों के पालकों, वार्ड पार्षद, पंच तथा ग्राम विकास समिति के प्रमुखों को जिम्मेदारियां दी है, लेकिन इनकी उदासीनता भी कुपोषण मुक्ति अभियान पर भारी पड़ रही हैं। पालकों को आंगनबाड़ी केन्द्र पहुंचकर यह देखने की फुर्सत नहीं है कि उनके बच्चे जो गर्म भोजन समेत पूरक आहार ले रहा है, उसकी गुणवत्ता कैसी है। यदि पालक और पार्षद-पंच, ग्रामवासी जागरूकता दिखाकर मानिटरिंग करेंगे तो 6 महीना, सालभर में कुपोषण से जंग जीत सकते हैं। इसके लिए लोगों को आगे आना चाहिए।
यहां ज्यादा गंभीर कुपोषित बच्चे
जिले में कुपोषण के मामले में कई ऐसे गांव हैं, जहां सर्वाधिक गंभीर कुपोषित बच्चे हैं। इनमें धमतरी-एक में 50, धमतरी-दो में 60, मोंगरागहन में 42, अंवरी में 53, कुरूद ग्रामीण में 40, मंदरौद में 43, नारी में 46, करेली बड़ी में 77, मगरलोड में 40, मेघा में 46, मोहंदी में 42, डोंगरडूला में 67, डोंगरडूला-दो में 47, केरेगांव में 41, नगरी दो में 44 तथा नगरी ब्लाक के सांकरा सेक्टर में सर्वाधिक 91 गंभीर कुपाषित बच्चे हैं।
डीपीएम एमडी नायक ने कहा, जिले में कुपोषण मुक्ति के लिए विभाग ने पूरी ताकत झोंक दी है। पहली छैमाही में साढ़े 6 करोड़ रुपए मिला था। गर्म भोजन के लिए प्रति बच्चे 5 रुपए 50 पैसे खर्च किया जाता है।
फैक्ट फाइल
जिले में आंगनबाड़ी-1102
बच्चों की दर्ज संख्या-57 हजार 591
कुपोषित बच्चे-7 हजार 809
गंभीर कुपोषित-1 हजार 537
एक बच्चे पर प्रतिदिन खर्च- करीब 8 रुपए
छह महीने में खर्च- 6 करोड़ 50 लाख