उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सालों में शहर में वायु प्रदूषण का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। एनजीटी (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) ने भी इस पर अपनी नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे संज्ञान में लेते हुए दीपावली के मौके पर रात 10 बजे तक ही पटाखा जलाने की अनुमति प्रदान की गई थी। यही नहीं प्रदूषण के ग्राफ को कम करने के लिए पटाखा व्यवसायियों को ग्रीन पटाखे बचने के लिए कहा गया था, लेकिन इसका असर शहरी जिले में देखने को नहीं मिला। यहां एक भी व्यापारियों ने ग्रीन पटाखा बेचने के लिए लाइसेंस नहीं लिया था। ऐसे में बाजार में सल्फर, नाइट्रोजन और चारकोल से बनी पटाखों की जमकर बिक्री की गई है। उधर लक्ष्मी पूजा दिन शाम को पटाखा जलाने का दौर शुरू हुआ। दो दिनों तक सुबह-शाम पटाखा जलाने के चलते वायु मंडल में एक बार फिर प्रदूषण का ग्राफ खतरनाक स्थिति तक पहुंच गया है।