जिले में 85 हजार से अधिक पंजीकृत किसान हैं, जो खरीफ के साथ-साथ रबी फसल भी लेते हैं। कृषि कार्य की लागत बढऩे के कारण उन्हें कर्ज से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है, लेकिन शासन को उनकी चिंता नहीं है। जीरो प्रतिशत पर ऋण देने के नाम पर किसानों को लुटने की कोशिश की जा रही है। उल्लेखनीय है कि जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के माध्यम से किसानों को नगद राशि के अलावा खाद और बीज भी दिया जाता है। अब तक करीब 29 हजार 33 लाख 64 हजार को 80 करोड़ का ऋण दिया जा चुका है, जिसमें 57 करोड़ 34 लाख नगद और 22 करोड़ 58 लाख सामग्री शामिल हैं। खाद की कीमत बढऩे से इन किसानों पर बोझ बढ़ गया है। किसान लीलाराम सिन्हा, धीरेन्द्र सिन्हा, कैलाश धीवर, राजेश नेताम, कमलेश देशमुख का कहना है कि सरकार किसानों को राहत देने की बजाए उनका शोषण करने में लगी हुई है।
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जिला सहकारी केन्द्रीय बैंक के अधिकारी आरपी शर्मा ने कहा कि कृषि कार्य के लिए किसानों को ऋण दिया जा रहा है। खाद की कीमत में कुछ वृद्धि हुई है।