यह कूप कमाल मौलाना की दरगाह के पास स्थित है। हिंदू पक्ष के गोपाल शर्मा के अनुसार अकल कुई (कूप) बेहद महत्वपूर्ण व प्राचीन स्थान है। वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह यह कूप भोजशाला की सच्चाई सामने लाने में अहम साबित हो सकता है।
सर्वे टीम ने दरगाह के 50 मीटर के दायरे में कई जानकारियां एकत्रित कीं। भोजशाला के अंदरूनी हिस्से में भी चिह्नित स्थानों पर खुदाई की गई। पिछले भाग में जो दीवार और सीढ़ी मिली थी, वहां से अब मिट्टी हटाने का काम किया जा रहा है।
सर्वे टीम अब तक 14 में से 7 स्थानों की खुदाई शुरू कर चुकी है। भोजशाला के मध्य में यज्ञशाला के हवन कुंड के आसपास मिट्टी हटाने से मिले अवशेष भी सुरक्षित किए जा रहे हैं। इससे पहले शनिवार को एएसआई की एक टीम धार के किले में भी गई थी।
क्या होती है अकल कुई
मान्यता के अनुसार इस कूप का पानी पीने से बुद्धि कुशाग्र होती है। इसी कारण कूप को अकल कुई के नाम से पुकारा जाता है। लोगों में इसके प्रति ऐसी आस्था है कि वे यहां से पानी लेकर भी जाते हैं।
क्यों हो रहा सर्वे
धार भोजशाला के स्वामित्व पर विवाद है। हिंदुओं के मुताबिक यह सरस्वती मंदिर है जबकि मुसलमान इसे सदियों पुरानी मस्जिद बताते हैं। अंग्रेज यहां से वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे। यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई गई है।