91 करोड़ से ज्यादा ऋण बांट दिया था। वसूली हुई नहीं थी बैंक के उपभोक्ता की जमा राशि नहीं मिल रही थी। शिकायतें की थी,जनसुनवाई डेढ़ करोड़ रुपए अटके पड़े सहकारिता विभाग ने राजगढ थाने में एफआईआर दर्ज कराई जांच में पाया कि देनदारियां अंशपूजी 80 लाख रुपए की है बिना स्वीकृति सात करोड़ की अंशपूजी जमा कर ली। स्वीकृति नहीं पाई गई। भाजपा के शासन में तत्कालीन विधायक वेलसिंह भूरिया ने उठाया था। कांग्रेस का प्रताप ग्रेवाल के साथ लोग गए थे।
एफडी पकी पर भुगतान नहीं कई लोगों ने राजेन्द्रसूरी साख सहकारिता संस्ता में एफडी कराई थी। एफडी पकने के बाद भी इन्हें पैसा लौटाया नहीं जा रहा था, जिसके चलते ये लोग चक्कर काट रहे थे। थकने के बाद इन लोगों ने शिकायतें की। एफआईआर में बताया कि 1 अप्रैल 2014 से 28 अगस्त 2019 तक संस्था सदस्यों की जमा राशियों का सदस्यों को भुगतान परिपवक्ता अवधि पूर्ण होने पर भी नहीं किया गया अन्य सदस्यों को ऋण नियमों के विरूध्द बांटकर लोकधन का दुरपयोग किया गया एवं अमानत में खयानत कर संस्था के सदस्यों के साथ धोकाधडी की गई ।
भाजपा नेता और पूर्व नगर परिषद सहित 2७ पर दर्ज हुई एफआईआर
पुलिस ने 28 लोगों पर प्रकरण दर्ज किया है। इसमें प्रमुख भाजपा नेता और पूर्व परिषद अध्यक्ष सुरेश तांतेड़ भी शामिल है। तांतेड़ के अलावा बाबूलाल चावडा ,कांता भंडारी,सोनू विकास भण्डारी , आजाद भंडारी , मुकेश कावडिया ,कांतिलाल भंडारी ,धर्मेन्द्र बागडिया ,हेमेन्त जैन ,जितेन्द्र मुरान्या, ज्योति पंवार, कालूसिंह निनामा,कानालाल पटेल, विंदेश मण्डलोई ,धर्मेन्द्र भण्डारी , निर्मल मुरूमकर, शांतिलाल जाट ,जगदीश चोयल, पंकज पंवार,सविन्द्र बुंदेला , दीपक बैरागी , सचिन खेडे , नीता बलसारा,घनश्याम चौधरी , भुवानसिहं कुशवाह , महेन्द्र राजपूत , प्रांशु शर्मा, सतीश कुशवाह पर प्रकरण दर्ज हुआ है।
संचालक मंडल की गलती फंसे गए प्रबंधक भी संचालक मंडल ने नियमों के खिलाफ काम किया था, ये एफआईआर में साफ हो गया। बैंक में कई कर्मचारी भी थे, जो संस्था के संचालकों की बात मानकर ऋण स्वीकृत करते थे। एफआईआर में संस्था की गलती से कई प्रबंधक भी उलझ गए है। सूत्रों के मुताबिक जिन प्रबंधकों पर एफआईआर दर्ज हुई है उन्हें महीनों से सेलेरी तक नहीं मिली थी। अब एफआईआर में बेजा नाम आने पर उनके सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया है।