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भगवान शिव की 5 बातें जो कोई नहीं जानता

पुराणों के अनुसार उन्होंने ही ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश रूप में सृष्टि की रचना, संचालन तथा संहार का कार्य संभाला हुआ है

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Sunil Sharma

Jan 01, 2017

Bhagwan shiv bholenath

Bhagwan shiv bholenath

देवों के देव महादेव ही इस सृष्टि के आधारभूत कारण तथा कर्ता है। पुराणों के अनुसार उन्होंने ही ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश रूप में सृष्टि की रचना, संचालन तथा संहार का कार्य संभाला हुआ है। उन्हें विश्व का प्रथम गुरु भी माना जाता है, जिन्होंने मानव जाति के कल्याण हेतु योग, तंत्र, मंत्र तथा अन्य विधाओं का ज्ञान दिया। शिवपुराण में महादेव की ऐसी ही कुछ बातों के बारे में बताया गया है जो पूरी तरह से गुप्त मानी जाती है और जिसका किसी को पता नहीं है। आप भी जानें क्या हैं ये खास बातें....

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पिनाक धनुष

शिव के धनुष का नाम पिनाक है। इस धनुष की टंकार से ही पर्वत हिलने लगते थे। इस धनुष के एक तीर से ही भगवान ने त्रिपुरासुर की सभी नगरियों को समाप्त कर दिया था। बाद में इस धनुष को उन्होंने देवताओं को दे दिया था। देवताओं ने इस धनुष को राजा जनक को दे दिया था। जिसे भगवान राम ने सीता स्वयंवर में भंग कर दिया था।

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चक्र

भोलेनाथ के चक्र का नाम भवरेंद्रु है। परन्तु बहुत कम लोग जानते हैं कि भगवान कृष्ण के सुदर्शन चक्र का निर्माण भी महादेव ने ही किया था। उन्होंने इसे विष्णुजी को दे दिया था। बाद में इसे विष्णुजी ने मां पार्वती को प्रदान कर दिया। पार्वती ने इसे परशुराम को दे दिया और भगवान कृष्ण को यह सुदर्शन चक्र परशुराम से मिला।

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त्रिशूल

भगवान शिव का त्रिशूल सत, रज और तम का प्रतिनिधित्व करता है। इसके अलावा तीनों दैहिक, दैविक तथा भौतिक कष्टों के विनाश को भी दर्शाता है। यह अचूक तथा संहारक होने के साथ भक्तों की भी प्राणरक्षा करता है।

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वासुकी नाग

भगवान शिव के गले में लिपटे नाग का नाम वासुकी है। इन्हीं से आगे कई नागवंश आरंभ हुई। वासुकी नाग को शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा माना जाता है। इनके बाद तक्षक तथा पिंगला हुए। तक्षक ने ही प्राचीन तक्षकशिला (तक्षशिला) नगर की स्थापना की थी।

12 गण
शिवपुराण में भगवान शिव के 12 प्रमुख गण बताए गए हैं। इनके नाम क्रमशः भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृगिरिटी, शैल, गोकर्ण, घंटाकर्ण, जय और विजय है। इनके अलावा पिशाच, दैत्य और राक्षस भी उनके गण माने गए हैं।

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