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Chhath Puja: आज शाम से शुरू होगा 36 घंटे का निर्जला उपवास, जानिए खरना के नियम

Chhath Puja छठ पूजा उत्सव में कार्तिक शुक्ल पंचमी के दिन खरना होता है। यह 18 नवंबर 2023 को पड़ रहा है। इसी दिन शाम से 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है। आइये जानते हैं कि खरना के नियम क्या है।

Nov 18, 2023 / 01:32 pm

Pravin Pandey

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छठ पूजा का दूसरा दिन आज खरना

छठ पूजा
चार दिवसीय छठ पूजा उत्सव सूर्य देव और छठी मैया की पूजा का त्योहार है। इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होती है और दूसरे दिन खरना होता है। तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है, जबकि चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देकर पारण किया जाता है। मान्यता है कि छठी व्रत रखने वाली महिलाओं को छठी मैया संतान प्राप्ति का वरदान देती हैं और संतानवान व्रतियों को संतान के कल्याण का आशीर्वाद देती हैं। आज जानते हैं कि खरना के दिन क्या करेंगी व्रती..

खरना (दूसरा दिन) : छठ पूजा उत्सव के दूसरे दिन खरना होता है, इस दिन व्रती पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करती हैं। यही प्रसाद घर के बाकी के सदस्यों को भी दिया जाता है।
खरना के दिन सूर्यास्त समय : 18 नवंबर शाम 05:26 पर।
अमृत काल पूजा मुहूर्त : 18 नवंबर 2023 शाम 06:01 से 07:33 के बीच।
क्या करते हैं खरना के दिन
1. खरना का अर्थ खुद को साफ और शुद्ध रखना है। इसके लिए शुद्ध भोजन भी करते हैं। इसको लोहंडा के नाम से भी जानते हैं। इस पूजा में शुद्धता का खास खयाल रखा जाता है। इसी दिन से ही 36 घंटे का निर्जला उपवास शुरू होता है।
2. छठ पूजा के दूसरे दिन खरना का भोजन और छठ का प्रसाद भी बनाते हैं।
3. इस दिन प्रसाद बनाने के लिए नई मिट्टी के चूल्हे और आम की लकड़ी का प्रयोग करते हैं, जिस पर साठी के चावल, दूध और गुड़ की खीर बनाई जाती है।
4. खरना में पूरे दिन निर्जला उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, घी लगी हुई रोटी और फलों का सेवन करते हैं। इसके बाद व्रत शुरू हो जाता है।
5. खरना का प्रसाद और भोजन जो बच जाता है उसे घर के अन्य सदस्यों को प्रसाद रूप में दिया जाता है।
6. खरना के दिन शाम को नदी या तालाब पर जाकर सूर्य को जल दिया जाता है और इसके बाद छठ का कठिन व्रत आरंभ हो जाता है।

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