इस दिन चंद्रमा को देखना भी शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन के बाद ही संकष्टी चतुर्थी व्रत पूरा होता है। बता दें कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का निर्धारण चंद्रोदय के आधार पर होता है। मान्यता है कि चतुर्थी तिथि उसी दिन होता है तो जिस दिन चंद्रोदय होता है। इसीलिए कभी-कभी संकष्टी चतुर्थी व्रत तृतीया तिथि के दिन ही होता है। हालांकि गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय मध्याह्न और शाम का होता है।
कब है एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रतः रविवार 26 मई 2024
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारंभः रविवार 26 मई 2024 को शाम 06:06 बजे सेज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी तिथि संपन्नः सोमवार 27 मई 2024 को शाम 04:53 बजे
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदयः 26 मई रविवार रात 09:57 बजे
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत के दिन शुभ योग
साध्य योगः रविवार 26 मई सुबह 08:31 बजे तकशुभ योगः सोमवार 27 मई 2024 सुबह 6.37 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः रविवार सुबह 05:35 बजे से 10:36 बजे तक
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पर गणेशजी के मंत्र
- श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥ - ॐ श्रीम गम सौभाग्य गणपतये
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥ - ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
एकदंत संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
- धर्म ग्रंथों के अनुसार एकदंत संकष्टी चतुर्थी के दिन सूर्योदय से पहले सुबह उठकर स्नान करें, स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें।
- पूजा घर में ईशान कोण में चौकी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश जी को विराजमान कराएं।
- शुभ मुहूर्त में गणेश जी को पुष्प और जल अर्पित करें, दूर्वा की 11 या 21 गांठें भगवान को चढ़ाएं।
- अब सिंदूर-अक्षत लगाकर, मोदक, फल चढ़ाएं, घी का दीपक और धूप जलाएं।
- भगवान गणेश का ध्यान करें, गणेशजी के मंत्रों का जाप करें, आरती गाएं और गणेश चालीसा पढ़ें।
- शाम को स्नान ध्यान के बाद फिर गणेशजी की पूजा करें, एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा पढ़ें या सुनें
- चंद्र देव के दर्शन के बाद अर्घ्य दें और व्रत का पारण करें।