
एकदंत संकष्टी चतुर्थी व्रत 2024
नारद पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन भक्त को उपवास करना चाहिए और शाम को संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत कथा सुननी चाहिए। मान्यता है कि संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में पूजा करने से नकारात्मकता दूर होती है और पूजा से घर में शांति बनी रहती है। साथ ही भक्त की घरेलू परेशानियां दूर होती हैं और मनोकामना पूरी होती है। साथ ही गणपति बप्पा की पूजा करने से यश, धन, वैभव और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
इस दिन चंद्रमा को देखना भी शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होकर चंद्र दर्शन के बाद ही संकष्टी चतुर्थी व्रत पूरा होता है। बता दें कि संकष्टी चतुर्थी व्रत का निर्धारण चंद्रोदय के आधार पर होता है। मान्यता है कि चतुर्थी तिथि उसी दिन होता है तो जिस दिन चंद्रोदय होता है। इसीलिए कभी-कभी संकष्टी चतुर्थी व्रत तृतीया तिथि के दिन ही होता है। हालांकि गणेश चतुर्थी के दिन गणेश पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय मध्याह्न और शाम का होता है।
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी तिथि प्रारंभः रविवार 26 मई 2024 को शाम 06:06 बजे से
ज्येष्ठ कृष्ण चतुर्थी तिथि संपन्नः सोमवार 27 मई 2024 को शाम 04:53 बजे
संकष्टी चतुर्थी के दिन चंद्रोदयः 26 मई रविवार रात 09:57 बजे
साध्य योगः रविवार 26 मई सुबह 08:31 बजे तक
शुभ योगः सोमवार 27 मई 2024 सुबह 6.37 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योगः रविवार सुबह 05:35 बजे से 10:36 बजे तक
Updated on:
21 Jun 2024 06:21 pm
Published on:
24 May 2024 06:29 pm
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