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Nirjala Ekadashi 2023 : निर्जला एकादशी पर इन मंत्रों का करें जाप खुल जाएंगे सुख के द्वार, इसका भी रखें ध्यान

ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2023) के नाम से जानी जाती है। इसके व्रत का पालन सबसे कठिन माना जाता है, साथ ही यह सबसे अधिक पुण्यफल देने वाली भी मानी जाती है। इसमें अन्न तो अन्न जल भी नहीं ग्रहण कर सकते। इसी कारण इस एक व्रत के रहने से साल की सभी एकादशी का पुण्य फल प्राप्त होता है। लेकिन इस दिन कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है, इसी के साथ इस दिन भगवान विष्णु के इन मंत्रों का जाप करना (God vishnu mantras ) चाहिए।

May 30, 2023 / 09:23 pm

Pravin Pandey

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निर्जला एकादशी पर इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।

निर्जल उपवास : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी व्रत से अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण के समय तक जल ग्रहण नहीं कर सकते। इस तरह से व्रत के कठिन तप का पालन करने से भक्त को सभी एकादशी का फल मिलता है। साथ ही इस व्रत के प्रभाव से साल भर तक साधक को शुभ परिणाम ही प्राप्त होते रहते हैं। हालांकि इस दिन तुलसी को जल अर्पित करने का निषेध है, इस दिन तुलसी को छूना भी नहीं चाहिए। मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता का भी उपवास रहता है, इसलिए उनका व्रत खंडित करने का प्रयास नहीं करना चाहिए।

सात्विकता का अभ्यास : पुरोहितों के अनुसार यदि कोई व्यक्ति निर्जला एकादशी व्रत नहीं रख रहा हैं तो भी इस दिन उसे चावल, पान, नमक, पान, मसूर की दाल, मूली, बैंगन, प्याज, लहसुन, शलजम, गोभी, सेम और तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए।

ब्रह्मचर्य और उत्तम आचरण : धर्म ग्रंथों के अनुसार निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्मचर्य और उत्तम आचरण का पालन करना चाहिए। इस दिन भूलकर भी स्त्री संग प्रसंग नहीं करना चाहिए। इस दिन किसी व्यक्ति के प्रति बुरे विचार नहीं रखना चाहिए। चुगली नहीं करना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए। वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए। पलंग पर नहीं सोना चाहिए। किसी जीव को परेशान नहीं करना चाहिए।

1. ऊं ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान, यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।
(निर्जला एकादशी पर श्री भगवान को पीतांबरी चढ़ाने के बाद 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए और हर मंत्र के बाद थाली में एक पीला फूल अर्पित करना चाहिए।)
2. ॐ आं संकर्षणाय नम:
(निर्जला एकादशी पर केसर में थोड़ा जल डालकर एक थाली में इस मंत्र को लिखें, फिर इसे विष्णु जी के सामने रखकर 108 बार जाप करें, मान्यता है इससे धन प्राप्ति के रास्ते खुल जाते हैं)
3. मूलतो ब्रह्मरूपाय मध्यतो विष्णुरूपिणे, अग्रत: शिवरूपाय वृक्षराजाय ते नम:।
आयु: प्रजां धनं धान्यं सौभाग्यं सर्वसम्पदम्। देहि देव महावृक्ष त्वामहं शरणं गत:।।
(निर्जला एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में कच्चा दूध और जल अर्पित करते हुए इस मंत्र का जाप करना चाहिए, मान्यता है कि इससे आपके पास धन की कमी नहीं होगी)
4. महाप्रसाद जननी, सर्व सौभाग्यवर्धिनी आधि व्याधि हरा नित्यं, तुलसी त्वं नमोस्तुते।
(भीमसेनी एकादशी की शाम तुलसी के सामने घी का दीपक जलाएं और 11 बार परिक्रमा करते हुए यह मंत्र बोलें। मान्यता है कि ऐसा करने सौभाग्य में वृद्धि होती है।)
5. ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:।
(पांडव एकादशी के दिन विष्णुजी को तुलसी की माला अर्पित करें और एक माला इस मंत्र का जाप करें। मान्यता है कि इससे दीर्घ आयु मिलती है।

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एकादशी माता की आरती
ऊं जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता।
विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता॥
ऊं जय एकादशी…॥

तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी।
गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी॥
ऊं जय एकादशी…॥
मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।
शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई॥
ऊं जय एकादशी…॥

पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है।
शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनंद अधिक रहै॥
ऊं जय एकादशी…॥

नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।
शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै॥
ऊं जय एकादशी…॥
विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी।
पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की॥
ऊं जय एकादशी…॥

चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली।
नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली॥
ऊं जय एकादशी…॥

शुक्ल पक्ष में होयमोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी।
नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी॥
ऊं जय एकादशी…॥
योगिनी नाम आषाढ़ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।
देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी॥
ऊं जय एकादशी…॥

कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।
श्रावण शुक्ला होयपवित्रा आनंद से रहिए॥
ऊं जय एकादशी…॥

अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।
इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला॥
ऊं जय एकादशी…॥
पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।
रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी॥
ऊं जय एकादशी…॥

देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।
पावन मास में करूं विनती पार करो नैया॥
ऊं जय एकादशी…॥

परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।
शुक्ल मास में होयपद्मिनी दुख दारिद्र हरनी॥
ऊं जय एकादशी…॥
जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।
जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै॥
ऊं जय एकादशी…॥

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