क्षेत्र से होकर गुजर रहा माइनर की परत टूट गई। जिससे आसपास बने खेतों में खड़ी पानी में डूब गई। पीडि़त किसानों का कहना है कि उन्होंने सिंचाई विभाग के अधिकारियों को इस बारे में कई बार जानकारी दी है। कि इस माइनर मे पानी धीमी गति से चलाए। लेकिन सिंचाई विभाग के कर्मचारियों ने इस बात पर ध्यान ही नहीं दिया। अब किसानों ने आरोप लगाया कि सिचाई विभाग के अधिकारी ध्यान नहीं देते कि माइनर में पानी धीमी गति से चलाते तो उनकी फसल का नुकसान नही होता। बीती रात लगभग 12 बजे के करीब नहर टूट गई। मामले की जानकारी किसानों ने कई अधिकारियों को भी फोन किये जब कोई नही आया। जिसके बाद मजबूरन किसानों ने सर्दी में खुद माइनर पर कट्टे लगाने शुरू कर दिये तब तक पानी सभी खेतो में भर गया। और किसानों की 50 बीघा फसल जलमग्न हो गई।
दूसरे दिन दोपहर में पहुंचे सिंचाई विभाग के अधिकारी- सिचाई विभाग के अधिकारियों की मॉनिटरिंग एवं कार्य शैली का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि जब घटना रात के 12 बजे हो गई और अधिकारी दिन दोपहर 12 बजे के बाद नहर पर पहुंच रहे हैं। किसानों ने विभाग के अधिकारियों को लेकर नाराजगी जताई। उन्होंने जिला कलक्टर से कार्रवाई की मांग की। मामले में जब कार्यवाहक कनिष्ठ अभियंता बाड़ी विवेक से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मेरे पास 2 दिन पहले चार्ज आया है मुझे इस बारे में कोई ज्यादा खास जानकारी नहीं है। नहर क्यों टूटी क्या कारण रहे इस बारे में वह कुछ भी नहीं बता सकते है। ज्यादा जानकारी चाहिए तो अधिशासी अधिकारी से बात कर सकते हैं। जहां तक मुझे जानकारी है वह कुछ मिट्टी खराब होने की वजह से नहर टूटी है जिसे जुड़वा कर उन्होंने चालू करवा दिया गया है।