अस्पताल में एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नही होने के कारण स्वास्थ्य विभाग की सुविधाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हो गई है। साथ ही सरकार ने प्रसुताओं के लिए कई योजनाएं भी चला रखी है लेकिन सरमथुरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर सुविधाओ का अभाव होने से महिलाएं प्रसव कराने से कतराने लगी हैं। जबकि समीपवर्ती करौली जिला के कई गांवों तक की प्रसूताएं अस्पताल में आती हैं। गंभीर अवस्था में प्रसूताओं को आनन फानन में सिर्फ रैफर कर दिया जाता है जिससे जच्चा व बच्चा दोनों के लिए खतरा पैदा हो जाता है। अस्पताल में मरीजों के भार के अनुसार चिकित्सक नही होने से लोगों को सरकार की योजनाओं का लाभ भी नही मिल रहा है।
चार चिकित्सकों के भरोसे अस्पताल, एक भी विशेषज्ञ नहीं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र सरमथुरा पर शहर सहित पवैनी, वीझौली, गौलारी, मदनपुर, झिरी, डौमई, चंद्रावली, मढासिल ग्राम पंचायत के लोग पूरी तरह निर्भर है लेकिन अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों के अभाव में स्वास्थ्य सुविधाओं से भी वंचित रहना पड़ रहा है। अस्पताल में सिर्फ चार चिकित्सक तैनात है जो नियमित सुबह, शाम व रात में व्यवस्थाओं को संभाले हुए है। जबकि स्वास्थ्य केन्द्र पर सरकार ने सर्जरी, गायनी, अस्थिरोग, शिशुरोग सहित मेडिसिन विभाग के चिकित्सक सहित 12 चिकित्सकों के पद स्वीकृत किया हुआ है। अस्पताल मे एक भी विशेषज्ञ चिकित्सक नही है। जिसका खामियाजा लोगो को भुगतना पड़ रहा है।सरमथुरा में चिकित्सकों की खदान
जिला में सरमथुरा को पत्थर की खदानों के लिए मशहूर माना जाता है लेकिन हकीकत यह है कि सरमथुरा में पत्थर के साथ साथ डॉक्टरों की भी खदान है। अकेले सरमथुरा उपखंड से करीब 500 चिकित्सक दिल्ली सहित प्रदेश के विभिन्न शहरों में अपनी सेवाएं दे रहे हंै। दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल से लेकर जयपुर का एसएमएस अस्पताल तक में सरमथुरा के चिकित्सक सेवा दे रहे हैं। जबकि सरमथुरा का अस्पताल चिकित्सकों के अभाव में बदहाली के आंसू बहा रहा है।
– अस्पताल में स्वास्थ्यकर्मियों की कमी के कारण अस्पताल की व्यवस्थाएं प्रभावित हो रही हैं। अस्पताल में केवल चार चिकित्सक तैनात हैं। जो लगातार अस्पताल में ड्यूटी दे रहे हंै। कई बार उच्च अधिकारियों को लिखित में अवगत करा दिया गया है।- डॉ.जीएल मीणा, अस्पताल प्रभारी सरमथुरा