– जिले में फिलहाल नहीं मिला प्रभावित गोवंश धौलपुर. प्रदेश में लपी स्किन डिजीज गायों पर कहर बनकर टूट रही है। हालांकि, धौलपुर जिले में अभी तक इस बीमारी से ग्रसित कोई गोवंश नहीं मिला है। फिर भी धौलपुर में पशुपालन विभाग ने संसाधनों की कमी होते हुए भी अपने स्तर पर इस बीमार से निपटने के लिए कमर कस ली है। विभाग ने छह रेपिड रेस्पॉन्स टीम गठित की हैं। कर्मचारियों के बिना अनुमति के जिला मुख्यालय छोडऩे पर रोक लगा दी गई है। कंट्रोल रूम भी स्थापित किया गया है। प्रदेश के 17 जिलों में अब तक इस बीमारी से 5807 पशुओं की मौत हो चुकी है। एक लाख से अधिक पशु संक्रमित हो चुके हैं। चिकित्सकों के आधे पद खाली धौलपुर जिले में इस समय तक 30 पशु कार्यरत हैं, जबकि 30 ही पद रिक्त चल रहे हैं। जिले में कुल 106 पशुधन सहायक व पशु चिकित्सक सहायक कार्यरत हैं। जबकि, इनके 39 पद रिक्त हैं। वहीं, प्रदेशभर की बात करें तो प्रदेश में पशु चिकित्सा अधिकारियों के 2243 पद स्वीकृत हैं लेकिन, इनमें से 1333 पद रिक्त हैं। यानी विभाग के तकरीबन 70 फीसदी पद रिक्त हैं। पशु चिकित्साधिकारी के साथ पशुओं का इलाज करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पशु चिकित्सा सहायक और पशुधन परिचर के पद भी रिक्त हैं। बनाया कंट्रोल रूम पशुपालन विभाग ने लंपी बीमारी की सूचना देने के लिए कंट्रोल रूम बनाया है। इसका प्रभारी डॉ. संजय गोयल को बनाया गया है। कट्रोल रूम का नंबर 9828217233 है। इस पर नंबर पर कहीं भी बीमारी के संदिग्ध पशु नजर आने पर सूचना दी जा सकती है। लंपी बीमारी फैक्ट फाइल जिले में गोवंश 68757 पंजीकृत गोशालाएं 13अनुदानित पंजीकृत 01 लंपी बीमारी के लक्षण गाय को बुखार, आंखों और नाक से रिसाव, वजन घटना, दूध उत्पादन में गिरावट, पूरे शरीर पर कुछ या कई कठोर और दर्दनाक गांठें दिखाई देना। धीरे-धीरे गांठों का बड़ा होना। इस बीमारी में गाय मो तेज बुखार आने लगता है। गाय दूध देना कम कर देती है। मादा पशुओं का गर्भपात का खतरा। कोर्ट में अटकी है भर्ती पशुपालन विभाग में आखिरी बार पशु चिकित्सकों की भर्ती 2013 में की गई थी। इसके बाद से अब तक विभाग में पशु चिकित्सकों की भर्ती नहीं हो पाई है। हालांकि 2019 में 900 पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी लेकिन, वह भी पिछले तीन साल से कोर्ट में अटकी हुई है। ऐसे में जिला व ब्लॉक स्तर पर चिकित्सकों की भारी कमी चल रही है। पशुपालन विभाग ने किया सर्वे जिले में पशुपालन विभाग ने सभी गोशालाओं का सर्वे किया है। किसी भी गोवंश में लंपी बीमारी के लक्षण नहीं है। वहीं, जिले में करीब 69 हजार गोवंश है, ऐसे में रेंडमली सर्वे करने के लिए भी कर्मचारियों को कहा गया है। आधा दर्जन रेपिड रेस्पोंस टीमों का गठन किया गया है। साथ ही मोबाइल यूनिट को भी हर समय तैयार रहने के लिए कहा गया है। देसी इलाज भी कारगरपशु चिकित्सक डॉ. आई.पी. शुक्ला ने बताया कि यह एक वायरसजनित स्किन डिजीज है। किसी भी गोवंश में लंपी बीमार के लक्षण नजर आएं तो दो बार फिटकरी के पानी से नहलाएं। हल्दी, अजवायन, गुड़ आदि के माध्यम से भी इलाज संभव है। मक्खी-मच्छरों से पशुओं का बचाव करें।इनका कहना हैजिले में अभी तक लंपी से पीडि़त या लक्षण वाला कोई गोवंश नहीं मिला है। विशेष परिस्थतियों में ही कर्मचारियों और चिकित्सकों को अवकाश दिया जाएगा। विभाग ने 22 प्रकार की दवाओं की मांग भेजी है। – डॉ. सुनील माटा, संयुक्त निदेशक, पशुपालन विभाग, धौलपुर