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धौलपुर

जिले के लोग मिठाइयों में खा रहे जहर!

जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावट का ऐसा खेल चल रहा है कि 9 माह में जिले से लिए गए 121 नमूनों में से 28 फेल हो चुके हैं, जबकि 20-25 की रिपोर्ट नहीं आई है। यानी तीस प्रतिशत नमूने के फेल होने का सीधा का मतलब है कि लोगों को खाद्य पदार्थों में मिलावट के रूप में जहर बेचा जा रहा है।

धौलपुरOct 18, 2019 / 11:34 am

Mahesh gupta

जिले के लोग मिठाइयों में खा रहे जहर!

जिले के लोग मिठाइयों में खा रहे जहर!

धौलपुर. जिले में खाद्य पदार्थों में मिलावट का ऐसा खेल चल रहा है कि 9 माह में जिले से लिए गए 121 नमूनों में से 28 फेल हो चुके हैं, जबकि 20-25 की रिपोर्ट नहीं आई है। यानी तीस प्रतिशत नमूने के फेल होने का सीधा का मतलब है कि लोगों को खाद्य पदार्थों में मिलावट के रूप में जहर बेचा जा रहा है। इसके बावजूद दीपावली पर फिर से मिलावटखोरों ने जहर बेचने की तैयारी कर ली है। स्वास्थ्य विभाग की ढिलाई के चलते मिलावटखोर फिर सक्रिय हो गए हैं। दीपावली पर अधिक मात्रा में होने वाली मिठाइयों की बिक्री को देखते हुए अभी से सामान बनाना शुरू कर दिया है। रीको स्थित फैक्ट्रियों में तमाम तरीके के केमिकल से मिठाइयां बनाने का कार्य शुरू हो गया है। नकली मावे सहित मिलावटी रिफाइंड ऑयल में सोनपपड़ी बनाई जा रही है। प्रमुख बात तो यह है कि सरकार मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त से सख्त नियम बना रही है और उच्च्तम न्यायालय तक गंभीरता दिखा चुके हैं, लेकिन सरकार जितनी गंभीरता जताती है, उतनी दिखाई नहीं पड़ती है। मिलावटखोरों का खेल चालू हो गया, लेकिन राज्य सरकार ने यहां मौजूद दो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का तबादला कर केवल एक ही खाद्य सुरक्षा अधिकारी लगाया है। अब पूरे जिले में एक ही अधिकारी कितने नमूने ले पाएगा, यह भी सोचने वाली बात है। इसके चलते मिलावटखोरों की मौजां ही मौजां चल रही है। जबकि पूर्व में जिले में पदस्थापित दोनों खाद्य सुरक्षा अधिकारियों से शक्तियां छीन रखी थीं।
जबकि जिले में प्रमुख रूप से मिलावटी मावा, तेल, घी, दूध, मैदा, सूजी का कारोबार बड़े पैमाने पर होता है। विभाग की ओर से पूर्व में की गई कार्रवाईयों में इन चीजों के नमूने फेल भी हुए हैं।
मिलावटखोरों के लिए नियम ताक पर
आमजन के स्वास्थ्य को ताक पर रखकर मिलावटखोर मुनाफा कमाने का कोई मौका नहीं छोड़ता। दिवाली जैसे त्योहारों पर मिठाइयों की सर्वाधिक मांग होती हैं। ऐसे में बाजार में सिंथेटिक दूध और मावे की मिठाइयों में कम गुणवत्ता के रंगों का प्रयोग किया जाता है।
मिठाई विक्रेता लड्डू, बर्फी, छेना, जलेबी, इमरती आदि में घटिया रंगों का प्रयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक है। इसके अलावा जिले के ग्रामीण अंचल में घटिया मावे, पनीर, तेल, घी का इस्तेमाल कर मिठाइयां तैयार की जा रही है।
कार्रवाई के बाद भी नहीं मानते मिलावटखोर
जिले के स्वास्थ्य महकमे की ओर से मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है, लेकिन सीजन आते ही वे फिर से सक्रिय हो जाते हैं।
स्वास्थ्य विभाग त्योहारी सीजन में अभियान के तौर पर कार्रवाई करने का दावा करता है। लेकिन जांच के लिए भेजे जाने नमूनों की रिपोर्ट कई माह तक नहीं आती है। ऐसे में मिलावटी भी विभागीय कार्रवाइयों की परवाह नहीं करते हंै। सूत्रों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई से बेखौफ मिठाई विक्रेता कई दिन पूर्व से ही गोदामों में मावे का स्टॉक शुरू कर देते हैं।
जनवरी से अब तक 121 नमूने लिए गए थे, इनमें से 28 फेल हो गए हैं। दो खाद्य सुरक्षा अधिकारियों के तबादले हो गए हैं, जबकि एक अधिकारी लगाया है, नमूने लेने की कार्रवाई शुरू कर दी है। मिलावटखोरों को नहीं बख्शा जाएगा।
डॉ. गोपाल प्रसाद गोयल, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, धौलपुर

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