scriptWorld Schizophrenia Day 2024 : बेवजह शक, साजिश और भ्रम करते हैं तो आपको हो सकती है यह मानसिक बीमारी, जानें क्या हैं इसके लक्षण | World Schizophrenia Day 2024: If you have unnecessary doubts, conspiracies and delusions, then you can get this mental illness, know what are its symptoms | Patrika News
धौलपुर

World Schizophrenia Day 2024 : बेवजह शक, साजिश और भ्रम करते हैं तो आपको हो सकती है यह मानसिक बीमारी, जानें क्या हैं इसके लक्षण

वर्तमान में इस बीमारी से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस बीमारी को लेकर समाज में कई भ्रांतिया हैं लेकिन अपनों का साथ और स्नेह मिले तो मरीज में काफी हद तक सुधार हो सकता है। जा

धौलपुरMay 24, 2024 / 01:18 pm

जमील खान

अम्बर अग्निहोत्राी
Dholpur News : धौलपुर. सिजोफ्रेनिया (मनोविदलता) इस मानसिक बीमारी के लक्षण आमतौर पर किशोरवस्था और 20 साल की उम्र में दिखाई देते है। दोस्तों और परिवार से खुद को अलग कर लेना, किसी चीज पर फोकस ना कर पाना और चिड़चिड़ापन इसके प्रमुख लक्षण है। मरीज एक काल्पनिक दुनिया में रहने लगता है। जिंदगी से इतनी दिलचस्पी खत्म हो जाती है। जिला अस्पताल की मानसिक रोग ओपीडी में इस बीमारी के मरीजों की संया बढ़ती जा रही है। हर साल सिजोफ्रेनिया 24 मई को मनाया जाता है। यह एक गंभीर मानसिक बीमारी है।
वर्तमान में इस बीमारी से पीडि़त मरीजों की संख्या बढ़ रही है। इस बीमारी को लेकर समाज में कई भ्रांतिया हैं लेकिन अपनों का साथ और स्नेह मिले तो मरीज में काफी हद तक सुधार हो सकता है। जागरूकता बढ़ाने और पीडि़तों को सही मदद दिलाने के लिए प्रतिवर्ष 24 मई को विश्व सिजोफ्रेनिया दिवस मनाया जाता है। उक्त बीमारी से पीडि़त मरीज जिले में भी सामने आ रहे हैं। जिनका इलाज चिकित्सकों की निगरानी में हो रहा है।
जिला अस्पताल के मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ.सुमित मित्तल ने बताया कि ओपीडी में प्रतिदिन 15 से 20 मरीज आ रहे हैं जो सिजोफ्रेनिया बीमारी से ग्रसित हैं। उन्होंने बताया कि महिलाओं में 15 से 30 साल की उम्र में इस बीमारी के लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं पुरुषों में 20 से 40 साल की उम्र में इसके लक्षण सामने आने लगते हैं। लेकिन जागरूकता की कमी से मरीज को अस्पताल तक आने में देरी होती है। जिससे वह धीरे-धीरे इस बीमारी का असर बढ़ जाता है।
जिले में 240 से अधिक मरीज इस बीमारी से ग्रसित है। जिनका इलाज चल रहा है। जो हर तीन सप्ताह में जांच कराने आते हैं। नियमित जांच से मरीजों में काफी सुधार है। सिजोफ्रेनिया एक असाध्य बीमारी है। समाज में अंधविश्वास है कि इसके मरीज दोहरे व्यक्तित्व के होते हैं जबकि यह सच नहीं होता।
मस्तिष्क में कुछ रसायनों के असंतुलन के कारण मरीज की सोच, भावना और उनकी गतिविधियों में फर्क देखने को मिलता है। दवाओं से बीमारी नियंत्रण में आ सकती हैं। इस बीमारी का समय पर इलाज मिलने पर ही ये दवाएं असरकारक हो सकती हैं। देरी से इलाज पर दवा का असर कम होता है। जिससे व्यक्ति के अंदर संदेह के विचार आना शुरू हो जाते हैं। उनका दिमाग कहीं न कहीं दूसरे व्यक्ति पर संदेह करने लगता है।
भूत प्रेत समझ कराते हैं झाड़ फूंक
जिला अस्पताल के मनोरोग चिकित्सक ने बताया कि जानकारी के अभाव में आमतौर पर लोग इस बीमारी की चपेट में आने वाले युवाओं की सनक या भूत-प्रेत का साया समझ बैठते हैं। जबकि इसमें अपनी भावनाओं व विचारों पर मरीज का कोई नियंत्रण नहीं रहता। ऐसे मरीजों के परिजन कई बार झाड़-फूंक कराने में लग जाते हैं जो इनकी मानसिक स्थिति को और खराब कर देते हैं। इसलिए अंध विश्वास में न पड़कर ऐसी स्थिति में मरीज को इलाज के लिए चिकित्सक के पास ले जाएं। जिससे पीडि़त व्यक्ति का बेहतर इलाज हो सके।
ये बरतें सावधानियां
– मरीज को कभी अकेला और खाली न छोड़े

– मरीज से खुलकर बात करें और उसके विचार जाने

– उसे काम में व्यस्त रखें और नए कार्यों के लिए प्रोत्साहित करें
– उसमें हीन भावना न आने दें

– तनाव दूर करने के लिए योग का सहारा लें

ये हैं इसके लक्षण
– संदेह होना कि कोई पीछा कर रहा

– सोचता है कि उसे कोई मारना चाह रहा है
– ऐसी चीजों को सच मानना जो झूठी होती हैं

– बात-बात पर झगड़ा-लड़ाई करना

– अविश्वसनीय आवाजें सुनाई देना

– न होने के बावजूद कुछ दिखाई देना
– अचानक गुमसुम रहने लगना

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