संक्रमण जैसे फंगस (केंडिडिया एल्बिकेंस), बैक्टरियल, माइक्रोब्स। फूड एलर्जी जैसे – गेंहूं से एलर्जी, दूध से एलर्जी या किसी अन्य भोज्य पदार्थ से एलर्जी होना।
तनाव या खुशी की कमी
तनाव, चिंता, अवसाद, डिप्रेशन आई.बी.एस. की प्रमुख वजह है। हमारे नकारात्मक विचार हमारे पेट को परेशान या ईरिटेट करते हैं। जिसके कारण हमारा पेट खराब हो जाता है। याद कीजिए आपकी परीक्षाओं के दिन जब मुश्किल पेपर के पहले आपको दस्त लग जाते थे या वाइवा होने के पहले आपको बार-बार टॉयलेट जाना पड़ता था।
हर्मोनल समस्या
थॉयराइड द्वारा स्रावित होने वाले हार्मोन्स की गड़बड़ी भी पेट में समस्याएं पैदा करती हैं और आंतों की गति को प्रभावित करके आई.बी.एस. संबंधी परेशानी उत्पन्न करती हैं।
क्या है उपचार?
लगभग दस दिनों के लिए दूध और अन्य डेयरी प्रोडक्ट्स छोड़कर देंखे। यदि आपकी समस्या समाप्त हो जाए तो समझें कि आपको आई.बी.एस. दूध की शर्करा लेक्टोज से एलर्जी के कारण है इसलिए दूध को भोजन से हटा दें।
ऐसा ही प्रयोग शक्कर और गेहूं के साथ भी करके देखें और रिजल्ट के अनुसार इसमें भी जरूरी हो तो बदलाव करें।
थायराइड के हार्मोन्स का टेस्ट करवाएं यदि उसमें गड़बड़ हो तो उसका उपचार करने से आई.बी.एस. भी ठीक हो जाएगा।
स्टूल टेस्ट (मल परीक्षण) करवाएं यदि उसमें केंडीडिया, बैक्टीरियल या अमीबिक सिस्ट आए तो उसका उपचार करवाएं।
यदि तनाव, अवसाद या चिंता के कारण आई.बी.एस. उत्पन्न हुआ है तो इनसे लडऩे की प्लानिंग करें। ध्यान, योग ?, अध्यात्म और प्रकृति की शरण में जाएं। इसके लिए कई अच्छी किताबें उपलब्ध हैं वे पढें और उनका अनुसरण करें। आयुर्वेद की कुछ दवाएं भी तनाव
दूर करने में कारगर हैं-ब्राह्मी, अश्वगंधा, तगर, शंखपुष्पी, और सर्पगंधा का प्रयोग किसी अच्छे आयुर्वेद चिकित्सक की देख रेख में करें।
आयुर्वेद में उपचार
आयुर्वेद की कुछ प्रभावी औषधियां पेट को ठीक रखने के लिए है-
बेल या बिल्व का फल – चूर्ण या अवलेह
कर्पूर धारा (पिपरमेंट, सत्व अजवाइन और कपूर का तरल मिश्रण)
मरोड़ फली का चूर्ण।