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डाइट फिटनेस

डाइटिंग से वजन घटाना चाहते हैं तो सावधान

कीटोजेनिक, मेडिटेरियन जैसे कई मॉडर्न डाइट विशेष तौर पर मरीजों के लिए तैयार की गई थी। फिर देखने में आया कि ये वजन भी घटाती हैं तो इनका वेट लॉस में प्रयोग बढऩे लगा। लेकिन संतुलित मात्रा में आहार न मिलने से कमजोरी, थकान, तनाव और कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं होती हैं।
 

May 03, 2019 / 08:36 pm

Ramesh Singh

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डाइटिंग से वजन घटाना चाहते हैं तो सावधान

कीटोजेनिक, मेडिटेरियन जैसे कई मॉडर्न डाइट विशेष तौर पर मरीजों के लिए तैयार की गई थी। फिर देखने में आया कि ये वजन भी घटाती हैं तो इनका वेट लॉस में प्रयोग बढऩे लगा। लेकिन इनसे विटामिन ए, ई, बी 6, फोलिक एसिड, आयरन, पोटैशियम, फाइबर की कमी व सैचुरेटेड फैट, कोलेस्ट्रॉल की दिक्कतें बढ़ती हैं।

वजन के साथ शरीर में पोषक तत्व भी घट जाते
कीटोजेनिक डाइट : मिर्गी से ग्रसित ब’चों के लिए यह डाइट बनाई गई थी। इसमें 50-60 प्रतिशत फैट, पांच प्रतिशत से भी कम कार्बोहाइड्रेट व 25 प्रतिशत प्रोटीन की मात्रा में आहार देते हैं। कार्बोहाइड्रेट की मात्रा नहीं बढ़ाते हैं। यह डाइट वजन घटाने में कारगर है लेकिन छोडऩे पर उतनी ही तेजी से वजन वापस बढ़ता भी है।
नुकसान : लंबे समय तक इस डाइट के प्रयोग से पैरों में ऐंठन, थकान बढ़ती है। शारीरिक क्षमता में कमी आती व चिड़चिड़ापन भी बढ़ता है।

जनरल मोटर डाइट : इसे जनरल मोटर्स कंपनी ने अपने कर्मचारियों की बिगड़ती सेहत सुधारने के लिए सात दिन की डाइट शीट के रूप में बनवाया था। जीएम डाइट में एक तरह के पोषक तत्वों वाले आहार देते हैं। एक दिन एक फ्रूट, अगले दिन चावल, फिर सब्जी या सिर्फ मीठी चीजें देते हैं।
नुकसान : इसे फॉलो करने से शरीर में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी हो जाती है। कैल्शियम, प्रोटीन की कमी होती है। थकान बढ़ती है। रोग प्रतिरोधक क्षमता भी कमजोर होती है।
मेडिटेरियन डाइट : यह पार्किंसन व अल्जाइमर के मरीजों को दी जाती थी। इसमें सी फूड, कलरफुल सब्जियां ज्यादा देते हैं। कार्बोहाइड्रेट कम मात्रा में देते हैं। यह मानसिक असंतुलन संबंधी रोगों में कारगर है। वजन कम होता है। यह तटीय क्षेत्रों में ज्यादा चलन में है। मांसाहारी भी इसे खूब फॉलो करते हैं।
नुकसान : ये फैट डाइट है। यह हृदय संबंधी दिक्कतों में फायदेमंद है। इससे पोषकतत्वों की कमी हो जाती है। थकान, चिड़चिड़ापन बढ़ता है।
सबसे पहले एटकिन्स डाइट चलन में आई

यह सबसे पहली डाइट कही जाती है। इसे डॉ. एटकिन्स ने डिजाइन किया था। इसमें कार्बोहाइड्रेट 5%, 25% प्रोटीन व 50-60% फैट आधारित डाइट देते हैं। वजन तेजी से कम होता है। कुछ समय बाद कार्बोहाइड्रेट बढ़ाकर संतुलित मात्रा में करते हैं।
नुकसान : थकान बढ़ती है। मसल्स कमजोर होने से शारीरिक क्षमता घटती है।

एक्सपर्ट :

– डॉ. पुनीत रिजवानी वरिष्ठ फिजिशियन, जयपुर
– मेधावी गौतम डायटीशियन, जयपुर

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