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डिंडोरी

जिले भर के चिकित्सालयों में चिकित्सको के एक तिहाई पद खाली

अमले की कमी से जूझ रहा स्वास्थ्य महकमा

डिंडोरीNov 03, 2018 / 04:12 pm

shivmangal singh

One-third of the doctors in the hospitals across the district are vacant

One-third of the doctors in the hospitals across the district are vacant

डिंडोरी। सरकारी अस्पतालों को सर्वसुविधा युक्त बनाने की कवायद मे चिकित्सको का टोटा रोड़ा साबित हो रहा है। ताजातरीन भवन और आधुनिक उपकरणों की उपयोगिता भी चिकित्सको के कमी के चलते प्रभावित हो रही है। हालात यह है कि जांच मशीन धूल खा रही है और मरीजों को सलाह भी नसीब नही हो पा रही। इन तमाम दिक्कतो के बीच जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था भगवान भरोसे संचालित है। सबसे ज्यादा खराब स्थिति जिला अस्पताल की है। जहंा चिकित्सको के एक तिहाई पद खाली है। यहां प्रथम श्रेणी डाक्टरो के 20 पद स्वीकृत है। लेकिन महज 6 चिकित्सक ही जिला चिकित्सालय मे सेवा दे रहे हैंजबकि 14 पद खाली है। अमूमन यही दशा समूचे जिले की है। गौरतलब है कि विकासखंड स्तर पर जिले मे सात सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र संचालित है। जितने विशेषज्ञो के शत प्रतिशत पद रिक्त है वहीं 35 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र भी चिकित्सको की कमी से जूझ रहे है। आंकड़ो पर गौर करे तो स्त्रीरोग विशेषज्ञों, सर्जन एवं शिशु रोग चिकित्सको की व्यापक कमी जिले मे लम्बे समय से है। जिसके चलते महिलाओ एवं बच्चो को समस्या पेष आती है। वही दुर्घटना के शिकार मरीज को सर्जन की कमी के कारण अन्य जगहों पर रेफर करना मजबूरी साबित होता है।
ट्रामा सेंटर की सेवा प्रभावित
आपात स्थिति मे कारगर साबित होने वाले ट्रामा सेंटर पर भी इसी संकट के बादल मंडरा रहे है। जिला चिकित्सालय मे संचालित इस केन्द्र के लिये 11 प्रथम श्रेणी चिकित्सको के पद स्वीकृत है। इनमे 2 सर्जन, 2 चिकित्सा विशेषज्ञ, 3 निश्चेतना एवं 3 अस्थि रोग विशेषज्ञों की तैनाती की व्यवस्था है। लेकिन हैरत की बात है कि यहां सभी 11 पद रिक्त है हांलाकि मरीजो को फौरी राहत देने के इंतजामों के मद्देनजर जिला अस्पताल के अमले की सेवा ली जाती है।
सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के खस्ता हाल
जिला चिकित्सालय के अलावा जिले के अन्य प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में चिकित्सकों के पद रिक्त हैं जिले के सातों सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में खण्ड चिकित्सा अधिकारी के पद रिक्त हैं वहीं चिकित्सा अधिकारियों का भी टोटा बना हुआ है मजबूरी में मरीजों को जबलपुर व अन्य शहरों की ओर रूख करना पड रहा है। खस्ताहाल चिकित्सा व्यवस्था के चलते आये दिन मरीजों को परेषानियों का सामना करना पड रहा है।
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