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कहीं आप भी पैसिव स्मोकर तो नहीं है

ऐसा धूम्रपान जो व्यक्ति खुद नहीं करता पर दूसरे द्वारा धूम्रपान किए जाने पर उसके उड़ाए धुएं के घातक दुष्परिणामों को भोगने के लिए मजबूर होता है।

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पैसिव स्मोकर

पैसिव स्मोकिंग या परोक्ष धूम्रपान को ‘सैकंड हैंड स्मोकिंग’ भी कहते हैं। यानी ऐसा धूम्रपान जो व्यक्ति खुद नहीं करता पर दूसरे द्वारा धूम्रपान किए जाने पर उसके उड़ाए धुएं के घातक दुष्परिणामों को भोगने के लिए मजबूर होता है। खासकर छोटे बच्चें और महिलाएं क्योंकि बहुसंख्यक नासमझों को अपनी फिक्र को धुएं में उड़ाना भाता है लेकिन उस धुएं का आसपास क्या असर होता है उसे वे नजरअंदाज करते हैं। देखा जाए तो पैसिव स्मोकिंग से हमारा पूरा घर और उसका वातावरण ही प्रदूषित रहता है। इसीलिए इसे ईटीएस यानी ‘एन्वॉयरमेंटल टॉबेको स्मोक’ भी कहा जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के विशेेषज्ञों का कहना है कि बच्चे मुख्य रूप से अपने घर में पैसिव स्मोकिंग का सबसे ज्यादा शिकार होते हैं।

घर में छिपा बड़ा खतरा
सिगरेट के मजे में धूम्रपान करने वाला भले ही फिल्टर से छानते हुए धुआं अंदर ले रहा हो, लेकिन जो लोग उसके आसपास होते हैं, वे बिना छने धुएं को फेफड़ों में खींचने के लिए मजबूर होते हैं। सिगरेट या बीड़ी पीने वाले जो धुआं उड़ाते हैं उसमें सामान्य हवा की तुलना में 3 गुना निकोटिन, 3 गुना टार और पचास गुना अधिक अमोनिया होती है जो किसी भी सूरत में आपको प्रभावित किए बिना नहीं रहेंगे।

कपड़ों के चिपके रहते हैं जहरीले कण
अगर आप धूम्रपान करने के शौकीन हैं और इसके लिए घर से बाहर यह सोचकर निकल जाते हैं कि इससे बच्चे सुरक्षित रहेंगे तो यह ख्याल गलत है। ऑस्ट्रेलिया में हुई एक रिसर्च स्टडी से पता चला है कि सिगरेट पीने वाले पिता-माता की सांस में धूम्रपान करने का प्रभाव 24 घंटे बाद भी रहता है। यह प्रभाव 4 से 9 साल के बच्चों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है। जो अभिभावक घर से बाहर जाकर भी धूम्रपान करते हैं उनके घरों में सांस लेने वाली हवा में निकोटीन के जानलेवा अंश तैरते रहते हैं। ‘इंडोर एयर’ नामक पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च के लेखक डॉ. क्रासी रूमचेव बताते हैं कि बाहर से धूम्रपान करने के बाद घर के अंदर सिर्फ सांसें लेने से ही सब कुछ विषैला हो सकता है क्योंकि ये कण कपड़ों में भी चिपक सकते हैं।

सेहत पर बुरे प्रभाव
पैसिव स्मोकिंग के संपर्क में होने वाले बच्चे में सांस से संबंधित समस्या हो सकती है। साथ ही बच्चे का भविष्य में अस्थमा से पीडि़त होने का खतरा भी रहेगा।
चेन स्मोकर्स पैसिव स्माकिंग की स्थितियां पैदा करके पत्नी और अन्य महिलाओं को मां बनने के सुख से वंचित करते हैं।
बच्चों में भविष्य में उनको दिल का दौरा पडऩे और स्ट्रोक के खतरे बढ़ जाते हैं।
किसी महिला के सिगरेट पीने से अजन्मे बच्चे को जितना नुकसान पहुंचता है, उतना ही पैसिव स्मोकिंग से भी पहुंचता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक परिवारों में धूम्रपान और संक्रमण से होने वाली बीमारियां मौत की घातक जोड़ी है।
सिगरेट के धुएं के कारण गर्भवती महिलाएं के अपरिपक्व या मृत शिशु को जन्म देने की आशंकाएं बढ़ती है।
सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने से भू्रण के मस्तिष्क का ठीक से विकास नहीं होता है। धूम्रपान करने वाले अभिभावकों के परिवारों में निर्बल, मंदबुद्धि और विकलांग संतान का जन्म हो सकता है।
पैसिव स्मोकिंग से भी मुंह, गले और फेफड़े का कैंसर होने की सर्वाधिक आशंकाएं होती हैं।
वे माता-पिता जो बच्चों की मौजूदगी में सिगरेट पीते हैं, उनके बच्चों की
रक्त नलिकाओं की दीवारें मोटी होने लगती हैं।
ऐसा धूम्रपान बच्चों की रक्त धमनियों को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचाता है। उनकी रक्त नलिकाएं असमय विकसित हो जाती हैं।

ये हैं असरदार उपाय

पीने वालों के लिए
सिगरेट-बीड़ी या कोई अन्य नशीला धुआं उड़ाने वाली चीज पीना तुरंत छोड़ दें। यह आप स्वयं और परिजनों के लिए सुखद होगी।


बुरी आदतों से बनाएं दूरी
ऐसे लोगों की नजदीकियों से बचें जो मुफ्त का जानलेवा धुआं भेंट करते हैं। यदि बुरी आदतों वालों से दूरियां बनानी हो या दोस्ती तोडऩी हो तो निश्चय और स्पष्टता से अपना पक्ष रखते हुए ऐसा जरूर करें।

बच्चों और महिलाओं की खास फिक्र करें
किसी भी लापरवाह-नासमझ के उड़ाए धुएं से दूर रहने के लिए हर संभव प्रयास करें। भीड़-भाड़ वाली जगहों और स्मोकिंग जोन में अकारण बच्चों को ले जाने से बचें।

सख्ती करना करें शुरू
आप स्वयं सिगरेट पीते हों तो खुद पर और यदि आपके या परिवार के सामने कोई और पीता हो तो उसे न पीने देने के लिए सख्त कदम उठाएं। सार्वजनिक स्थानों, ऑफिस-दुकान और बस-ट्रेन में भी लोगों को सिगरेट ना पीने का आग्रह करें।

लें चिकित्सकीय परामर्श
यदि आप या आपका परिवार पैसिव स्मोकिंग से परेशान है तो इसे छोटी समस्या मानकर टाले नहीं। डॉक्टर या किसी अन्य समझदार से उचित सलाह लें।

पैसिव स्मोकिंग के खिलाफ छेड़ें मुहीम
एक आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में सवा अरब तंबाकू पीने वाले पौने पांच अरब लोगों को पैसिव स्मोकिंग करने के लिए मजबूर कर रहे हैं। इनमें सें 40 फीसदी बच्चे, 35 फीसदी महिलाएं और 33 फीसदी मर्द बिन चाहे सिगरेट का धुंआ पी रहे हैं। स्वयं और अपनों को बचाने के लिए आग्रह या थोड़ी सख्ती के साथ ‘पैसिव स्मोकिंग या ‘सैकंड हैंड स्मोकिंग’ के खिलाफ मुहीम छेड़ी जा सकती है। शुरू में थोड़ा मुश्किल जरूर होगा लेकिन जब लोगों को इसके दुष्परिणामों के बारे में पता चले तो हो सकता है वो भी आपका साथ देने लगें।