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शुरुआती लक्षणों की पहचान कर कैंसर से बचें, जानें कैंसर से जुड़ी सभी अहम बातें

इस रोग से घबराने की बजाय बुरी आदतों से दूरी बनाकर और जीवनशैली में सुधारकर आसानी से बचा जा सकता है।

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Vikas Gupta

Nov 19, 2017

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इस रोग से घबराने की बजाय बुरी आदतों से दूरी बनाकर और जीवनशैली में सुधारकर आसानी से बचा जा सकता है।

भारत में कैंसर आम बीमारी बनता जा रहा है। देश में 25 लाख से अधिक लोग इस रोग से पीडि़त हैं। हर साल 7 लाख नए कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं। ज्यादातर मामलों का मुख्य कारण बिगड़ी जीवनशैली और इसके लक्षणों की जानकारी न होना है। इस रोग से घबराने की बजाय बुरी आदतों से दूरी बनाकर और जीवनशैली में सुधारकर आसानी से बचा जा सकता है।

कैंसर यानी शरीर में कोशिकाओं का अनियमित रूप से बढऩा। यह शरीर के किसी खास अंग को प्रभावित करता है या धीरे-धीरे खतरनाक रूप लेकर एक से दूसरी जगह फैलता है। ज्यादातर मामलों की पहचान गंभीर अवस्था में होती है। लक्षणों को समय पर पहचानकर विशेषज्ञ से सलाह लें तो इसे रोका जा सकता है।

फेफड़ों का कैंसर
अत्यधिक कफ बनना या कफ के साथ खून आना, लंबे समय तक गला खराब रहना, सांस लेने में तकलीफ होना, सीने में दर्द और बिना किसी कारण के वजन घटना। आमतौर पर इनमें से कुछ लक्षण मौसम के बदलाव से भी होते हैं। लेकिन जिन्हें दवा लेने के बावजूद फायदा न हो या हर बार कफ के साथ खून आए तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
बे्रस्ट कैंसर
यह महिलाओं में होने वाला प्रमुख कैंसर है। बे्रस्ट के आसपास गांठ होना या सूजन, आकार में बदलाव होना इसके लक्षण हैं। यह ४० वर्ष की उम्र के बाद अधिक होता है।
लिवर कैंसर
शरीर का पीला पडऩा, अचानक वजन कम होना, पेट में तेज दर्द, यूरिन का रंग पीला होना, बहुत जल्द थकान महसूस करना, भूख न लगना और उल्टी आना आदि लक्षण हैं।
गर्भाशय का कैंसर
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक देश में प्रतिवर्ष ३३ हजार महिलाओं की मौत गर्भाशय के कैंसर से होती है। यह पेपीलोमा वायरस के कारण होता है। पेट के निचले भाग व यूरिन करते समय तेज दर्द, पीरियड बंद होने के बाद भी दर्द व ब्लीडिंग होना या सफेद पानी निकलना, शारीरिक संबंध के बाद ब्लीडिंग व दर्द, भूख या वजन घटना। यह महिलाओं में होने वाला दूसरा प्रमुख कैंसर है।
प्रोस्टेट कैंसर
यह पुरुषों में होने वाला प्रमुख कैंसर है जो पौरुष ग्रंथि में होता है व यूरिनरी सिस्टम को प्रभावित करता है। यूरिन में रक्त या सीमेन आना, कमर के निचले हिस्से में दर्द होना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं। यह 50 वर्ष की उम्र के बाद अधिक होता है।
मुंह का कैंसर
मुंह से खून आना, होठ के आसपास या मुंह में गांठ बनना, कुछ भी खाने पर निगलने में तकलीफ, मुंह के छाले लंबे समय तक ठीक न होना या जीभ का कोई हिस्सा सुन्न हो जाना। देशभर में इस कैंसर के मामले सबसे अधिक पुरुषों में पाए जाते हैं।
ब्लड कैंसर (ल्यूकीमिया)
नाक से खून आना, शारीरिक कमजोरी, तेज बुखार संग ठंड लगना, हड्डियों-जोड़ों में तेज दर्द, शारीरिक गतिविधि कम होने के बावजूद अधिक थकान, कान के पास गिल्टियों में सूजन व रात में सोते समय पसीना आना।
बोन कैंसर
यह बच्चों में अधिक होता है। हड्डी में जिस जगह यह होता है वहां सूजन होना, त्वचा का रंग लाल होना, छूने पर गर्म अहसास होना, वजन घटने जैसे लक्षण सामने आते हैं। पैर की हड्डी में होने पर चलने में दिक्कत व हाथ प्रभावित होने पर कुछ भी उठाने में परेशानी होना भी लक्षण हैं।
दिमाग का कैंसर
यह कैंसर धीरे-धीरे दिमाग व गले से जुड़े वॉइस बॉक्स, होठ, नाक, लार गं्रथियां पर असर करता है। लगातार गले में खराश, मुंह से बदबू, आवाज में खरखराहट या बदलाव, गले में सूजन, बिना दर्द के उभार या गांठ, मुंह में सफेद या लाल निशान, लंबे समय तक नाक बंद रहना जैसे लक्षण हैं।
पेट/बड़ी आंत (कोलोन) का कैंसर
लंबे समय से कब्ज , दर्द या ऐंठन व पेट भरा हुआ महसूस होना, मल में खून आना व धीरे-धीरे इसमें रक्त का अधिक आना लक्षण हैं।
3 बातें जो कैंसर से रखेंगी दूर
तंबाकू व शराब से दूरी
सिर्फ तंबाकू व इससे जुड़े उत्पाद ही फेफड़े, मुंह, गला, लैरिंग्स, पेंक्रियाज, ब्लैडर कैंसर का कारण बन सकते हैं। धूम्रपान से होने वाला धुएं के संपर्क में आने वाले लोग भी प्रभावित होते हैं। वहीं अल्कोहल बे्रस्ट, कोलोन, फेफड़े, किडनी और लिवर कैंसर का कारण बनता है।
हैल्दी डाइट लें
भोजन को दोबारा गर्म कर और रेड मीट खाने से बचें। समय पर हैल्दी डाइट लेकर भी इसका खतरा कम किया जा सकता है। इसके लिए खानपान में सब्जियां, फल, फली, साबुत अनाज शामिल करें। इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स व विटामिन कैंसर कोशिकाओं को बढऩे से रोकते हैं। शक्कर कम से कम लें।
ये खाएं : डाइट में टमाटर, ब्रोकली, पत्तागोभी, लहसुन, अदरक, अंगूर,हल्दी, अलसी, नींबू, मौसमी, दालें लें।
इनसे करें परहेज : रेड मीट, कुकीज, फ्रेंच फ्राइस, फास्ट फूड, अधिक तलाभुना व मसालेदार खाना।
नियंत्रित वजन
शारीरिक रूप से सक्रिय व वजन नियंत्रित रखकर बे्रस्ट, प्रोस्टेट, कोलोन कैंसर से बचा जा सकता है। रोजाना करीब डेढ़ घंटे का व्यायाम जरूरी है। इसमें वॉक, ब्रिस्क वॉक, साइक्लिंग, स्वीमिंग व योग को रोजाना दिनचर्या में शामिल करें।
रोग का हाल बताते टैस्ट
बायोप्सी टैस्ट
रोग का पता लगाने के लिए शरीर से कोशिकाएं और ऊत्तकों का नमूना लेकर जांच की जाती है।
पैप स्मियर टैस्ट
इसके तहत महिलाओं में सर्विक्स (गर्भाशय) कैंसर की जांच के लिए सम्बंधित हिस्से से कोशिकाएं लेकर कैंसर सेल की पहचान की जाती है।
मेमोग्राम
यह टैस्ट महिलाओं में बे्रस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए कराया जाता है।
एमआरआई
इसका इस्तेमाल मस्तिष्क, हड्डियों आदि के कैंसर का पता लगाने में होता है। यह ट्यूमर की सटीक जानकारी देती है। यह शरीर के अंदरूनी अंगों की विस्तृत तस्वीर तैयार करती है।
सीबीसी
इसे कंप्लीट ब्लड काउंट टैस्ट भी कहते हैं। जांच करने के लिए रक्त का नमूना लेते हैं। इससे रक्त कैंसर व अन्य रक्त विकारों का पता लगाते हैं।
इलाज
कैंसर के प्रकार व स्टेज के अनुसार इलाज किया जाता है। जिसमें सर्जरी, रेडियोथैरेपी, कीमोथैरेपी, इम्यूनोथैरेपी, टार्गेटेड थैरेपी, स्टेम सेल ट्रांसप्लांट व दवाइयां दी जाती हैं। ट्रीटमेंट के बाद फॉलोअप के लिए बुलाया जाता है।