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सही ब्रेस्टफीडिंग से रोकें अनचाही प्रेग्नेंसी

अगर महिला नियमित बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग कराती है तो डिलीवरी के सात माह बाद तक बिना गर्भनिरोधक उपायों के अनचाहे गर्भ से बच सकती है।

Mar 14, 2018 / 04:50 am

शंकर शर्मा

world Breastfeeding day

अगर महिला नियमित बच्चे को ब्रेस्ट फीडिंग कराती है तो डिलीवरी के सात माह बाद तक बिना गर्भनिरोधक उपायों के अनचाहे गर्भ से बच सकती है। इसे लैक्टेशनल एमिनॉरिया मेथड (एलएएम) या स्तनपान गर्भ निरोधक विधि कहते हैं। इसे अपनाकर महिलाएं न केवल अनचाहे गर्भधारण से बच सकती हैं बल्कि सेहतमंद भी रह सकती हैं।

डिलीवरी के कुछ महीनों तक महिलाओं को माहवारी नहीं आती है। इसकी वजह शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव हैं। महिलाओं को लगता है कि इस बीच गर्भधारण नहीं होगा। इसलिए वे गर्भनिरोधक उपायों को नहीं अपनाती हैं। लेकिन कई बार माहवारी शुरू हुए बिना भी गर्भ ठहर जाता है, जो खतरनाक होता है। असमय गर्भ ठहरने के पीछे सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग न कराना भी एक कारण हो सकता है।

प्रेग्नेंसी में हार्मोंस की भूमिका
डिलीवरी के 6-7 माह बाद तक महिलाएं जब बच्चे को ब्रेस्टफीड कराती हैं तो इस दौरान उनके शरीर में प्रोलैक्टिन हार्मोन बनता है। इससे महिलाओं में एलएच (ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन), एफएसएच (फॉलिकल स्टीमुलेटिंग हार्मोन) और एस्ट्रोजन व प्रोजेस्ट्रॉन नामक हार्मोन नहीं बनते हैं। इससे माहवारी रुक जाती है क्योंकि ये हार्मोन्स अंडाणु बनाने का काम करते हैं। अंडाणु गर्भधारण के लिए जरूरी होते हैं। जो महिला नियमित सही तरीके से ब्रेस्टफीड नहीं कराती, उनके शरीर में प्रोलैक्टिन अनियमित हो जाता है। जिसके कारण एलएच, एफएसएच, एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन बनने लगते हैं और गर्भ ठहर जाता है।

दो साल का अंतर जरूरी
दो बच्चों के बीच में कम से कम दो साल का अंतर होना चाहिए। इससे पहले गर्भधारण करना मां और गर्भस्थ शिशु दोनों के लिए खतरनाक होता है। इस अवधि से पहले गर्भ ठहरने पर प्रीमैच्योर डिलीवरी, जन्म के समय शिशु का वजन कम होना और गर्भपात जैसी कई समस्याएं होने की आशंका बढ़ जाती है।

ब्रेस्टफीडिंग का सही तरीका
शिशु को छह माह तक केवल मां का दूध पिलाना चाहिए।
दूध पिलाने में 5 से 30 मिनट तक समय लगता है। इस दौरान रिलैक्स रहें।
दिन में 8-10 बार और रात में 3-4 बार तक ब्रेस्टफीड कराना चाहिए। अगर इसके बाद भी बच्चा भूखा है तो बे्रस्टफीडिंग जारी रखें।

यह है एलएएम
एलएएम विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से मां-शिशु को स्वस्थ्य रखने के लिए निर्देश हैं। एलएएम की जानकारी डिलीवरी के बाद अस्पतालों में महिलाओं को दी जाती है ताकि वे छह माह तक बिना गर्भनिरोधक उपायों के अनचाहे गर्भ से बची रहें और शिशु भी स्वस्थ रहे।

बे्रस्ट कैंसर का कम होता खतरा
ब्रेस्टफीडिंग मां और शिशु की सेहत के लिए फायदेमंद है। अगर महिला बच्चे के जन्म से ८ माह तक नियमित दूध पिलाती है तो डिलीवरी के दौरान बढऩे वाला वजन धीरे-धीरे सामान्य हो जाता है। साथ ही ब्रेस्ट ट्यूमर व ब्रेस्ट कैंसर जैसी घातक बीमारियों का खतरा कम होता है। सांस संबंधी और मानसिक रोगों से भी बचाव होने के साथ ही बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

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