मुंह में जब स्लाइवा ग्लैंड एक्टिव नहीं होता तो मुंह सूखने लगता है। इससे होंठ और गला भी सूखने लगते हैं। इससे प्यास का अहसास बार-बार होता है। कई बार ऐसा कुछ दवाओं के कारण भी होता है। दवांए स्लाइवा निकालना कम कर देती हैं। दवा खाने से मुंह का यह ग्लैंड बंद हो जाता हैं। इसके अलावा कैंसर जैसी कुछ बीमारियों में भी मुंह सूखने की समस्या होती है। स्लाइवा कम बनने से सांस की बदबू, स्वाद में परिवर्तन, मसूड़ों में दिक्कत, होने लगती है।
शरीर में खून की कमी होने पर भी बार-बार प्यास लगने की समस्या होती है। ऐसा खून में रेड ब्लड सेल के कम बनने के कारण होता है। शरीर में जब पर्याप्त ऑक्सीजन की स्पलाई नहीं होती तो प्यास लगने की समस्या होने लगती है।
हाइपरकैल्शिमिया में जब खून में कैल्शियम की मात्रा जरूरत से ज्यादा हो जाती है तो तब भी बार-बार प्यास लगती है। कई आर हाथ पैरों में दर्द या ऐंठन होने पर भी ऐसा होता है।
बार-बार प्यास लना डायबिटीज का संकेत भी है। इसे पॉलीडेप्सिया के नाम स जाना जाता है। जब इंसुलिन ब्लड में सही तरीके से रिलीज नहीं होता तब तब ग्लूकोज यूरिन से निकलने लगता है। इसकी वजह से प्यास बार-बार लगती है और यूरिन भी बढ़ जाती है।