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रोग और उपचार

स्पोर्ट्स इंजरी में देते प्राइस थैरेपी, जानें इसके बारे में

3-4 दिन तक यदि किसी जोड़ पर सूजन बरकरार रहे और दर्द हो तो नजरअंदाज न करें। अंदरुनी चोट की आशंका रहती है। आराम व सेंक से घटता दर्द, होती है रिकवरी ।

Oct 20, 2019 / 03:55 pm

विकास गुप्ता

स्पोर्ट्स इंजरी में देते प्राइस थैरेपी, जानें इसके बारे में

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स्पोर्ट्स इंजरी खिलाड़ियों के अलावा सामान्य लोगों को भी हो सकती है। खेलकूद के दौरान, एक्सरसाइज करते, दौड़ते-भागते या टहलते हुए भी यह हो सकती है। स्पोर्ट्स इंजरी के तहत हड्डी का टूटना व मांसपेशी, लिगामेंट, टेंडन में चोट लगने से उस भाग में दर्द होना शामिल है। इससे चलना-फिरना मुश्किल हो जाता है। इंजरी के तुरंत बाद डॉक्टरी सलाह व फिजियोथैरेपी ली जाए तो राहत मिल सकती है। स्पोर्ट्स इंजरी की परेशानी प्राइस थैरेपी से भी दूर की जा सकती है।

कॉमन स्पोट्र्स इंजरी –
कुछ कॉमन स्पोर्ट्स इंजरी में एसीएल-पीसीएल इंजरी, टेनिस एल्बो, शोल्डर व नी इंजरी, हैमस्ट्रिंग मसल इंजरी, एंकल स्ट्रेन शामिल हैं।
ध्यान रखें: चोटिल हिस्से पर भार न दें। बर्फ से सीधे सिकाई न करें, आईस बर्न व खून जम सकता है।

इन जांचों से पहचान –
खेलते-कूदते या दौड़ते वक्त लगी चोट में सबसे ज्यादा मांसपेशी, लिगामेंट और हड्डी के साथ मांस को जोड़ने वाले टिश्यू (टेंडन) को क्षति होती है। कुछ मामलों में हड्डी टूटने पर सर्जरी भी करते हैं। एक्स-रे, सीटी स्कैन व एमआरआई कर चोट की गंभीरता जानते हैं। गंभीर मामलों में मांसपेशी में लगी चोट का पता लगाने के लिए डॉप्लर टैस्ट भी करते हैं।

कारगर थैरेपी –
प्राइस थैरेपी अंग्रेजी के शब्द (पीआरआईसीई) से बना है। फिजियोथैरेपी में पी का मतलब प्रोटेक्शन, आर (रेस्ट), आई (आईस), सी (कम्प्रेशन) और ई (एलीवेशन) है। स्पोट्र्स इंजरी में इस फॉर्मूले के आधार पर इलाज करते हैं। चोट लगने के समय मौके पर पी-प्रोटेक्शन के तहत इलाज करते हैं। आर में रोगी को तुरंत रेस्ट देते हैं। आई में चोटिल जगह पर आईस थैरेपी देते हैं। बर्फ को कपड़े में लपेटकर सिकाई करें। सी में चोट वाले स्थान को एक्सपर्ट अपने हिसाब से कम्प्रेशन (दबाकर) देते हैं जबकि ई में चोटिल जगह पर सूजन न आए इसके लिए एलीवेशन टेक्नीक अपनाते हैं। चोट लगे पैर को हार्ट लेवल से ऊपर रखते हैं ताकि रक्तप्रवाह तेजी से न पहुंंचे। साथ ही वहां दर्द व सूजन न आए।

मसल स्ट्रेंथनिंग –
स्पोट्र्स इंजरी की वजह से चोटिल स्थान की ताकत खत्म या कम हो जाती है जिसे वापस लाने के लिए मसल स्ट्रेंथनिंग एक्सरसाइज कराते हैं। इसमें मसल पावर बढ़ाने के लिए चोटिल भाग पर भार डालकर कसरत कराते हैं। कुछ दिन वर्कआउट से प्रभावित हिस्से की मांसपेशी में ताकत आ जाती है।

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