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डूंगरपुर

बीएपी ने वोट बैंक पर पकड़ बनाई, भाजपा-कांग्रेस की नींद उड़ाई

विधानसभा चुनाव 2023- बीटीपी बाहर, बीएपी ने की एंट्री

डूंगरपुरDec 05, 2023 / 02:51 pm

Varun Bhatt

बीएपी ने वोट बैंक पर पकड़ बनाई, भाजपा-कांग्रेस की नींद उड़ाई

बीएपी ने वोट बैंक पर पकड़ बनाई, भाजपा-कांग्रेस की नींद उड़ाई

वरुण भट्ट डूंगरपुर

जजजाति बाहुल्य डूंगरपुर जिले के सियासी रण में इस बार कांग्रेस का गारंटी कार्ड एवं भाजपा की बड़ी सभाओं का जादू नहीं चल पाया। िस्थति यह बनी कि जनता ने क्षेत्रीय दल भारत आदिवासी पार्टी को पूरा तवज्जों देते हुए दो सीटों पर जीत दर्ज कराई। वहीं शेष दो सीटों पर भी कड़ा संघर्ष करते हुए दूसरे स्थान रही। तीन माह पहले ही पार्टी बनाकर अपने स्तर पर चुनावी मैदान में दम लगाकर किए गए इस बेहतर प्रदर्शन ने
दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों की चिंताएं बढ़ा दी हैं। इसके साथ ही क्षेत्रीय दल ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर भी तैयारियों के संकेत दे दिए हैं। भाजपा-कांग्रेस हार के पीछे वोट बैंक के बिखराव को कारण मान रहीं हैं। उल्लेखनीय है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में आसपुर-चौरासी पर बीएपी एवं डूंगरपुर में कांग्रेस व सागवाड़ा में भाजपा ने जीत दर्ज की हैं।
पहले चुनाव से अब तक दलों की िस्थति-

डूंगरपुर विधानसभा सीट पर 1952 से चुनाव हो रहे है। अब तक एक उपचुनाव सहित 17 चुनाव हो चुके है। इसमें 11 बार कांग्रेस, एक- एक बार निर्दलीय, भाजपा, जनता दल एवं तीन बार स्वतंत्र पार्टी ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली इस सीट पर भाजपा एक बार ही कब्जा जमा पाई है। इस चुनाव में भाजपा तीसरे नंबर पर रही। कांग्रेस ने बीएपी को पछाड़ा है। अब यहां कांग्रेस के सामने बीएपी नई चुनौती है।
– सागवाडा़ सीट पर 1952 से अब तक 16 चुनाव हुए है। जिसमें से 11 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। एक -एक बार जनता दल व बीटीपी तथा तीन बार यह सीट भाजपा के खाते में रही हैं। इस चुनाव में भाजपा ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही हैं। ऐसे में यहां दोबारा एंट्री को लेकर कांग्रेस को नए सिरे से जुटने की रणनीति बनानी होगी।
– आसपुर सीट 1957 में अस्तित्व में आने के बाद अब तक 13 चुनावों में एक-एक बार स्वतंत्र पार्टी, बीएपी, 8 बार कांग्रेस एवं 3 बार भाजपा ने जीत दर्ज की है। कांग्रेस 2008 में आखिरी बार जीती थी। इसके बार से लगातार हार रही है। पिछले दो चुनावों से तो तीसरे स्थान पर जा पहुंची है। अब यहां बीएपी ने जीत दर्ज की है, ऐसे में दोबारा एंट्री को लेकर आगामी समय में चुनौती बढ़ेगी।
– चौरासी विधानसभा सीट पर 1967 से अब तक 13 चुनावों में एक-एक बार स्वतंत्र, जनता दल, बीटीपी, बीएपी तथा तीन बार भाजपा एवं 6 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है। यहां से कांग्रेस 2008 का एवं भाजपा 2013 का चुनाव आखिरी बार जीती थी। दोनों ही दलों के सामने अब क्षेत्रीय पार्टी बड़ी चुनौती के रूप में उभरी है।
बीटीपी- पिछली बार दो सीटें, अब बाहर का रास्ता

वर्ष 2018 के चुनाव में सागवाड़ा एवं चौरासी की दो सीटों पर कब्जा जमाने वाली बीटीपी इस बार पूरी तरह से बाहर रही। अब नई पार्टी बीएपी ने दमदार एंट्री की है। इस बार डूंगरपुर की तीन विधानसभाओं में बीटीपी ने प्रत्याशी उतारे थे। जो बेहद कम वोट प्राप्त कर पाए। बीटीपी को चौरासी में 3318, डूंगरपुर में 1519 एवं सागवाड़ा सीट पर महज सागवाड़ा 3242 वोट ही मिले। जबकि नई पार्टी बीएपी ने चारों सीटों पर बेहतर प्रदर्शन करते हुए दो सीटों चौरासी व आसपुर पर कब्जा जमाया। वहीं डूंगरपुर व सागवाड़ा में दूसरे स्थान पर रहे।
वागड़ में बीएपी के वोट का गणित

वागड़ की 9 सीटों पर इस बार पूरे दम के साथ बीएपी उतरी थी। बीएपी ने डूंगरपुर जिले की सागवाड़ा सीट पर 63176, डूंगरपुर में 50285 , आसपुर में 93742 एवं चौरासी में 111150 सहित कुल 3 लाख 18 हजार 353 मत प्राप्त किए व दो सीटें जीती। वहीं बांसवाड़ा में बीएपी ने कुल 2 लाख 56 हजार 980 मत प्राप्त किए।
सभी के वोट भी बीएपी तक नहीं पहुंचे

चारों विधानसभा सीटों में सबसे अधिक मत चौरासी से बीएपी के राजकुमार रोत ने 111150 प्राप्त किए। यहां दूसरे स्थान पर भाजपा प्रत्याशी रहे है। रोत ने 69166 वोट से जीत दर्ज की। जीत का यह अंतर भाजपा, कांग्रेस, निर्दलीय , नोटा सहित अन्य सभी प्रत्याशियों के वोट को जोड़ने पर भी नहीं हो रहा है। बीएपी के अलावा नोटा व अन्य प्रत्याशियों के वोटों का योग भी 94990 तक ही पहुंच पा रहा हैं।

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