तिरुवनंतपुरम के सरकारी अस्पताल में डाक्टरों ने पाया कि रामलीला को बाईपोलर डीसआर्डर है और उसकी स्मृति जा चुकी है। तिरुवनंतपुरम के सरकारी मानसिक रोग चिकित्सालय के डॉ. आरएस दिनेश ने बताया कि जब महिला की स्थिति थोड़ी ठीक हुई तो हमने उसके बेटे गोद में दिया, लेकिन वो उसे भी नहीं पहचान पा रही थी। डॉक्टर्स के एक बार संदेह हुआ कि जिस बच्चे को लेकर वह मिली थी, कहीं किसी और का बच्चा तो नहीं। हालंाकि डीएनए टेस्ट से यह साफ हो गया कि बच्चा उसी का है।
अक्टूबर 2016 आते-आते रमिला की स्थिति काफी हद तक सुधर गई, काफी पूछने पर उसने केवल बिछीवाड़ा का नाम लेती थी। इसी दौरान सामाजिक कार्यकर्ता के. रमिला उसके जीवन में उम्मीद बनकर आई। माया ने गूगल के जरिए बिछीवाड़ा को ढूंढ निकाला। इसी महीने 14 तारीख को बिछीवाड़ा पुलिस ने फोनकर माया को बताया कि महिला का पता मिल गया है। इसके बाद रणछोड़ रमिला से मिलने तिरुवनंतपुरम पहुंचा तो पति-पत्नी भावुक हो गए। शनिवार को वह पत्नी और बच्चे को लेकर गांव आ गया।