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10 साल के इस बच्चे ने बचाई 850 लोगों की जान

कर्नाटक के इस बहादुर ने बच्चे अपनी सोच समझ से रोक लिया बड़ा हादसा

Nov 18, 2015 / 10:29 am

Anil Kumar

Siddesh Manjunath

Siddesh Manjunath

नई दिल्ली। 10 साल की उम्र के सिद्देश मंजूनाथ एक ऐसे बच्चे है जिन्होंने अपनी सूझबूझ से न सिर्फ बड़ा ट्रेन हादसा होने से बचाया, बल्कि 850 लोगों की जान भी बचा ली। 15 मार्च 2015 को हरिहरा-चित्रदुर्गा पैसेंजर ट्रेन जब कर्नाटक के देवनगीर जिले से गुजर रही थी, जब बड़ा हादसा हो सकता था, लेनिक सिद्देश ने अपनी सूझबूझ से उसें रोक लिया। इसके बाद उन्हें इस काम के लिए कर्नाटक सरकार द्वारा पुरस्कृत भी किया गया।

15 मार्च को ट्रेन जब पटरी से गुजर रही थी तब लोकोमोटिव ड्राइवर ने देखा कि एक बच्चा लाल रंग का कपड़ा लेकर ट्रेन की ओर दौड़ रहा है, इसके बाद उन्होंने खतरा होना भांप कर तुरंत ट्रेन रोक दी। जिससे ट्रेन हादसा होने से बच गया और उसमें सवार 850 यात्री सुरक्षित रहे।

सिद्ेदश का अपने इस बहादुरी भरे काम के बारे में कहना है कि जब सुबह वह नाश्ता करने के बाद अपने पिता की चाय की दुकान पर गए। लेकिन दुकान पर जाने से पहले रेलवे ट्रेक पार करना होता था, उसी समय एक ट्रेन आ रही थी। सिद्देश ने महसूस किया कि उस दिन ट्रेन के आने की आवाज अन्य दिनों से ज्यादा थी। हालांकि वो ट्रेन गुजर गई।

इसके बाद सिद्देश ने देखा कि एक जगह से पटरी टूटी हुई है, इसकी सूचना उन्होंने अपने पिता को दी। इसके बाद सिद्देश के पिता कुछ गांव वालों के साथ टूटी हुई पटरी के पास गए। उसी समय एक और ट्रेन आने की आवाज आई। तभी गांव वालों ने सुझाया कि लाल रंग का कपड़ा दिखाकर ट्रेन को रोका जा सकता है। संयोगवश उस दिन सिद्देश ने लाल रंग की टी-शर्ट पहनी हुई थी।

अपनी टी-शर्ट उताकर सिद्देश उसे लहराते हुए ट्रेन की तरफ दौड़ पड़े। बच्चे के हाथ में लाल रंग का कपड़ा देख डाइवर ने ट्रेन रोक दी और एक बड़ा हादशा होने से बच गया। इस बहादुरी वाले काम की वजह से सिद्देश को बाल दिवस पर कर्नाटक सरकार द्वारा पुरस्कृत किया गया।

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