ढाई हजार से ज्यादा अतिक्रमण
नगर निगम द्वारा करीब 12 साल पहले तालाबों और कुओं के संरक्षण के मद्देनजर सर्वे भी कराया गया था। इस दौरान अधिकतर तालाब अतिक्रमण के चपेट में पाए गए थे। निगम सुत्रों के मुताबिक इस दौरान करीब ढाई हजार से ज्यादा छोटे-बड़े अतिक्रमण पाए गए थे। इन्हें हटाने की योजना बनी थी, लेकिन कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।
बेदखली का प्लान, पर कार्रवाई नहीं
सर्वे में अतिक्रमण के खुलासे के बाद नगर निगम ने कब्जाधारियों को हटाने का भी प्लान बनाया था। एक दो अवसरों को छोड़ दे यह पूरा प्लान कागजों पर ही सिमटकर रह गया। पिछले 5 साल में पोलसाय पारा तालाब, कचहरी वार्ड के तालाब, हरनाबांधा तालाब से करीब दर्जनभर अवैध कब्जे हटाए गए हैं, लेकिन इसके बाद कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी।
सौंदर्यीकरण पर भी काम नहीं
तालाबों को सहेजने के लिए सरोवर धरोहर योजना के तहत भी 5 करोड़ प्लान बनाया गया था। इनमें नयापारा पंचशील नगर तालाब 12.37 लाख, मठपारा नया तालाब 13.86 लाख, तकियापारा हरनाबांधा तालाब 67.92 लाख, शक्तिनगर तालाब 45.99 लाख, बघेरा डोगिंया तालाब 74.88 लाख, उरला वार्ड में बांधा तालाब 68.53 लाख, कातुलबोर्ड तालाब 16.21 लाख, तितुरडीह तालाब 31.28 लाख, शक्ति नगर तालाब 218.71 लाख के काम शामिल थे, लेकिन राशि नहीं मिलने से यह काम भी शुरू नहीं हुआ।
तालाबों पर अतिक्रमण से यह नुकसान
0 तालाब ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने का बेहतर साधन हैं। तालाबों में पूरे साल पानी होता है, इसलिए निरंतर ग्राउंड वाटर रिचार्ज होता रहता है। लगातार अतिक्रमण से तालाबों का दायरा छोटा होता जा रहा है। इससे ग्राउंड वाटर भी कम रिचार्ज हो रहा है।
0 अतिक्रमण के लिए तालाबों में लगातार मिट्टी डाला जा रहा है। इससे तालाब की गहराई कम होता जा रहा है। इससे पानी का स्टोरेज भी कम हो रहा है। मिट्टी के कारण गंदगी बढ़ रही है वहीं गहराई कम होने से जल स्रोत बंद हो रहे हैं।
0 अतिक्रमण कर बनाए गए मकानों से सीवरेज की गंदगी तालाबों में डाला जा रहा है। इससे तालाब का पानी प्रदूषित हो रहा है। गंदे पानी में निरस्तारी से संक्रामक बीमारियों का खतरा रहता है। वहां पानी के साथ प्रदूषण भी ग्राउंड वाटर के साथ मिल रहा है।