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दुर्ग निगम में 4 करोड़ का टेंडर घोटाला, कमिश्नर को छुट्टी में बताकर 53 ठेकेदारों को काम बांट रहे थे ईई, लाठी-डंडे चले तब फूटा भांडा

locationदुर्गPublished: Oct 16, 2021 05:19:05 pm

Submitted by:

Dakshi Sahu

Durg Municipal Corporation में टेंडर में बड़ा खेल सामने आया है। निगम के अफसर टेंडर के लिए मिलीभगत कर न सिर्फ सिंडिकेट बना रहे हैं, बल्कि कामों का बंटवारा भी कर रहे हैं।

दुर्ग निगम में 4 करोड़ का टेंडर घोटाला, कमिश्नर को छुट्टी में बताकर 53 ठेकेदारों को काम बांट रहे थे ईई, लाठी-डंडे चले तब फूटा भांडा

दुर्ग निगम में 4 करोड़ का टेंडर घोटाला, कमिश्नर को छुट्टी में बताकर 53 ठेकेदारों को काम बांट रहे थे ईई, लाठी-डंडे चले तब फूटा भांडा

दुर्ग. नगर निगम में टेंडर में बड़ा खेल सामने आया है। निगम के अफसर टेंडर के लिए मिलीभगत कर न सिर्फ सिंडिकेट बना रहे हैं, बल्कि कामों का बंटवारा भी कर रहे हैं। इसका खुलासा 11 अक्टूबर को निगम के डाटा सेंटर में ठेकेदारों के बीच हुए हाथापाई के बाद हुआ है। घटना के दिन डाटा सेंटर में ईई मोहनपुरी गोस्वामी की मौजूदगी में 53 ठेकेदारों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक ठेकेदारों की सिंडिकेट बनाकर कामों का बंटवारा किया जा रहा था, लेकिन इसमें ठेकेदारों में विवाद हो गया और मामला हाथापाई तक पहुंच गया। खास बात यह है कि घटना के दिन ईई मोहनपुरी गोस्वामी छुट्टी पर थे और वे कमिश्नर को बिना जानकारी दिए ठेकेदारों की बैठक ले रहे थे। इस पर कमिश्नर हरेश मंडावी ने ईई गोस्वामी को नोटिस थमाया है। नोटिस में कमिश्नर ने 24 घंटे में जवाब तलब कर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी भी दी है।
चार कारोड़ के टेंडर से जुड़ा है मामला
मामला राज्य शासन द्वारा अधोसंरचना मद से उपलब्ध कराए गए 4 करोड़ की राशि के टेंडर से जुड़ा है। इस राशि से 58 वार्डों में सड़क, नाली, सीमेंटीकरण व अन्य निर्माण कार्यों की स्वीकृति दी गई है। इन कामों के लिए पिछले दिनों टेंडर जारी किया गया था। बताया जाता है कि ठेकेदारों ने मिलीभगत कर इन कामों के लिए सिंडिकेट तैयार कर लिया था। सिंडिकेट में हर ठेकेदार को 7 से 8 लाख रुपए का काम देने और 3 से 4 फीसदी बिलो रेट पर टेंडर भरने पर सहमति बनी थी। इसी के अनुरूप कार्यों के बंटवारे के लिए निगम के डाटा सेंटर में ठेकेदारों की बैठक बुलाई गई थी। जिसमें छुट्टी के बाद भी ईई मोहनपुरी गोस्वामी मौजूद रहे। बैठक में एक ठेकेदार ने काम कम मिलने पर शोर-शराबा शुरू कर दिया। इसके बाद दो ठेकेदार आपस में भिड़ गए। इसके बाद मामला हाथापाई और अपने-अपने गुर्गों को बुलाकर लाठी-डंडा लहराने तक पहुंच गया।
बड़ा सवाल – कमिश्नर को ना और बैठक में हां
मामले में खास बात यह है कि 11 अक्टूबर को कमिश्नर हरेश मंडावी ने ईई मोहनपुरी गोस्वामी को राज्य शासन की सस्ती दवा योजना के प्रस्तावित जेनरिक मेडिकल स्टोर के निर्माण की निगरानी के लिए कहा था। ईई गोस्वामी इसके नोडल अधिकारी भी हैं, लेकिन उन्होंने कमिश्नर के आदेश को नहीं माना और वाट्सऐप ग्रुप में खुद के अवकाश पर होने की जानकारी दी। जबकि वे इसी दिन डाटा सेंटर में ठेकेदारों की बैठक लेने पहुंच गए।
घेरे में सत्तापक्ष – बैठक में पीडब्ल्यूडी प्रभारी भी
निगम प्रशासन द्वारा उक्त कार्यों के लिए ओपन टेंडर जारी किया गया है। जिसमें कोई भी ठेकेदार भाग ले सकता था। इसके विपरीत ठेके के बंटवारे के लिए यह बैठक बुलाई गई थी। मामले में सर्वाधिक महत्वपूर्ण यह भी है कि बैठक में ईई गोस्वामी के साथ पीडब्ल्यूडी प्रभारी अब्दुल गनी भी मौजूद थे। इससे सत्तापक्ष भी संदेह में आ गया है।
नोटिस में यह – निगम की छवि किया धूमिल
निगम कमिश्नर हरेश मंडावी ने अवकाश में और जानकारी दिए बिना बैठक को बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि निविदा समिति के सदस्य होने के बाद भी पिछले दरवाजे से बैठक बुलाने और सस्ती दवाई योजना के काम में रूचि नहीं लेने से निगम की छवि खराब हुई है। ऐसे में क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई किया जाए। कमिश्नर ने मामले में ईई से 24 घंटे में जवाब मांगा है।
नेता के फोन के कारण पुलिस ने साधी चुप्पी
ठेकेदारों के विवाद के कारण डाटा सेंटर के सामने मुख्य सड़क पर करीब घंटेभर तक घमासान चलता रहा। दोनों पक्षों के करीब 100 लोग मौके पर जमा हो गए थे और लाठी-डंडे लहराते रहे। इसके बाद भी मामले पर पुलिस ने ध्यान नहीं दिया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक सत्ताधारी दल के शहर के बड़े नेता के फोन के कारण मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं किया गया। सिंडिकेट में उनके समर्थक कई ठेकेदार बताए जाते हैं।
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