निर्वाचन आयोग के मेनुअल में मतदान के बाद पीठासीन अधिकारियों की पोलिंग डायरी के अनुसार फार्म 20 में बूथवार डाले गए मतों की जानकारी दर्ज कर सार्वजनिक किए जाने का प्रावधान है। पिछले सभी चुनावों में इसी के आधार पर जानकारियां सार्वजनिक किए जाते रहे हैं।
मैनुअल में प्रावधान के बाद भी इस बार जिले में यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की जा रही है। जिला निर्वाचन कार्यालय के अफसरों के मुताबिक राज्य निर्वाचन आयोग ने इस पर रोक लगा दी गई है। आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाने के कारण किस बूथ में कितने वोट डाले गए हैं, इसका पता नहीं चल पा रहा है।
बूथवार आंकड़ों पर बंदिश से जुड़े सवाल पर कलेक्टर से लेकर राज्य चुनाव आयुक्त तक सभी ने चुप्पी साध रखी है। इससे मामला और भी संदेहास्पद हो गया है। पत्रिका ने कलक्टर उमेशअग्रवाल और राज्य चुनाव आयुक्त सुब्रत साहू से मोबाइल और वाट्सऐप के माध्यम से संपर्क कर जानकारी चाही, लेकिन किसी ने प्रतिक्रिया नहीं दी।
नामांकन – नामांकन के दौरान गोपनीयता के नाम पर कलक्टोरेट में प्रवेशसे लेकर नामांकन पत्र लेने वाले और जमा करने वालों के नाम तक सार्वजनिक करने में परहेज किया जाता रहा। इस कारण अंतिम दिन तक अभ्यर्थियों की संख्या घट-बढ़ होती रही। वहीं प्रत्याशियों के चुनाव चिन्ह भी बदल जाने की शिकायत रही।
Q. मतदान के बूथवार आंकड़े जारी नहीं की जा रही, ऐसा क्यों?
A. आयोग ने बचे हुए जगहों पर चुनाव प्रभावित न हो, इसलिए आंकड़े सार्वजनिक किए जाने पर रोक लगाई है।
Q. आंकड़े जारी करने से नतीजे पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
A. इससे चुनाव नतीजे किस तरह प्रभावित होंगे स्पष्ट नहीं किया गया है।
Q. बूथवार आंकड़े नहीं दिए जाने से गड़बड़ी की आशंका जताई जा रही है?
A. मतदान के बाद प्रत्येक पीठासीन अधिकारी ने बूथ में राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों को प्रमाणित पोलिंग डिटेल (17-सी) दी जाती है।
Q. बूथवार डिटेल नहीं होने से वास्तविक पोलिंग स्पष्ट नहीं हो रहा, ऐसे में गड़बड़ी की संभावना तो है?
A. राजनीतिक दलों के पास बूथवार जानकारी है। इसके मिलान से वास्तविक आंकड़ा सामने आ जाएगा। गड़बड़ी जैसी संभावना बिल्कुल नहीं है।