इस अत्याधनिक फिल्टर प्लांट (Filter Plant) को शुरू हुए बमुश्किल 2 साल हुए हैं और अभी पूरी क्षमता से पानी सप्लाई भी शुरू नहीं हुआ है। गर्मी में हर साल पानी की समस्या को देखते हुए 2009 में फेज-टू योजना स्वीकृत किया गया। इसके तहत शहर की अगले 30 साल यानि वर्ष 2039 तक की जरूरत को ध्यान में रखकर 77 करोड़ 95 लाख से साइंस कॉलेज के सामने 42 एमएलडी का अत्याधुनिक फिल्टर प्लांट बनाया गया। निगम प्रशासन ने 2017 में प्लांट का संचालन शुरू किया। इस प्लांट में अभी से दिक्कत शुरू हो गई है। (Durg News)
निगम प्रशासन ने 2 साल पहले फिल्टर प्लांट के निर्माण के बाद पैकेज्ड वाटर की तरह शुद्ध पानी लोगों के घरों तक पहुंचाने का दावा किया था। इसके विपरीत मैनुअली ब्लीचिंग पाउडर (bleaching powder) व एलम से ट्रीटमेंट कर पानी दिया जा रहा है। इसके चलते अब भी लोगों को अशुद्ध पानी पीना पड़ रहा है।
नगर निगम के अधिकतर इलाकों में 50 साल से भी ज्यादा पुरानी पाइप लाइन से पानी सप्लाई हो रही है। इस पाइप लाइन में अक्सर लिकेज अथवा फूटने की शिकायत रहती है। बारिश में ऐसे लिकेज से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
शहर में 42 एमएलडी प्लांट के अलावा 24 एमएलडी के पुराने फिल्टर प्लांट से भी पानी की सप्लाई की जाती है। इस प्लांट में भी ब्लीचिंग पाउडर और एलम से पानी का ट्रीटमेंट किया जा रहा है। इस तरह पूरे शहर को मैनुअल ब्लीचिंग पाउडर से ट्रीटमेंट कर पानी पिलाया जा रहा है।
पानी की जांच में भी कोताही बरती जा रही है। पिछले दिनों पीएचई के अधिकारियों ने इसका खुलासा किया था। शहर के कुछ क्षेत्रों से पानी का सैंपल जांच के लिए भेजा जा रहा था। निगम पीएचई के फिल्टर प्लांट में पानी की जांच करवाता है। कमिश्नर नगर निगम दुर्ग (Nagar nigam Durg) सुनील अग्रहरि ने बताया कि क्लोरीनेटर सिस्टम में तकनीकी खराबी है। इसके कारण फिलहाल मैनुअली ट्रीटमेंट कर पानी की सप्लाई किया जा रहा है। अमृत मिशन के तहत इसमें सुधार के काम कराया जाएगा। जल्द से जल्द सुधार का प्रयास किया जा रहा है। (Durg News)