अब आरटीओ को ठहराया जिम्मेदार सीसी टीवी पुटेज निकालने से लेकर चालान तैयार करने में पुलिस विभाग के अधिकारी-कर्मचारी एक्सपर्ट की मदद ले रहे हैं। इस तरह की समस्या के लिए विभाग के कर्मचारी एक्सपर्ट सीजी साजी से राय लेते हैं। इनका कहना है कि नंबर स्क्रीन में आने के बाद वे वाहन किस नाम से है? और पता क्या है? इसके लिए आरटीओ का मदद लेते हैं। आरटीओ से सूची आते ही वे चालान तैयार कर भेजते हैं। गलतियां आरटीओ के कारण हो रही हैं।
आड़े तिरछे नंबर को नहीं पढ़ पाता कैमरा चौक-चौराहों पर लगाए गए कैमरे केवल सामान्य अक्षरों में लिखे वाहनों के नंबर को पढ़ता है। आड़े-तिरछे नंबर सॉफ्टवेयर में नहीं आ पाते। सही नंबर जानने के लिए ट्रैफिक पुलिस के कर्मचारी फुटेज को बड़े स्क्रीन में देख नंबर को अलग से नोट करते हैं। इसके बाद वाहन नंबर को क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय भेजा जाता है। फुटेज अस्पष्ट होने पर भी कर्मचारी स्क्रीन की मदद लेते हैं। इसमें भी गड़बड़ी की संभावना है।
ऐसे खुला नोटिस में गड़बड़ी का मामला जवाहर नगर निवासी ७२ वर्षीय डॉ. संतराम देशमुख ने बताया कि यातायात विभाग ने डाक विभाग के माध्यम से इ-चालान (नोटिस) भेजा था। जिसमें २५ अगस्त को ट्रैफिक सिग्नल लांघने पर २०० रुपए जुर्माना जमा करने का निर्देश था। चालान में जिस तारीख व समय पर का उल्लेख था, वे उस समय घर पर ही थे। जिस वाहन नंबर का चालान दिया गया था, वह एक हफ्ते से गैराज से ही नहीं निकला था। इस चालान को लेकर जब हकीकत जानने कंट्रोल रूम पहुंचे तब मालूम चला कि कैमरे के फुटेज में बाइक सीजी ०७ बीएल ३०८८ ने सिग्नल तोड़ती दिख रही है, जबकि चालान एक्टिवा सीजी ०७ बीएल ३०१८ का।
जानिए क्यों कहा जा रहा इ-चालान में खामियां स्थान का उल्लेख नहीं : दुर्ग-भिलाई शहर के ११ चौराहों पर कैमरे हैं, जिनका नियंत्रण कंट्रोल रूम सेक्टर ६ भिलाई से होता है। फुटेज देखने के बाद इ-चालान का प्रिंट तैयार कर डाक के माध्यम से भेजा जाता है। इसमें उस स्थान का उल्लेख नहीं होता, जहां सिग्नल तोडऩे पर चालान बनाया गया।
फुटेज नहीं देख सकते : इ-चालान का भुगतान करने सुपेला के यातायात टॉवर में काउंटर है। लेकिन यहां चालान भरने से पहले फुटेज देखने नहीं मिलता। इसके लिए उसे कंट्रोल रूम जाना पड़ेगा। वहां सर्वर रूम और मॉनिटर एक ही हॉल में है, बाहरी व्यक्ति का प्रवेश प्रतिबंधित है।
बेवजह ३ किमी का चक्कर : फुटेज देखने मिल गया और उसके आधार पर आपका चालान गलत बना है तो फिर से ३ किलोमीटर का सफर तय कर वापस सुपेला आना होगा। यहां यातायात टॉवर में चालान निरस्त कराने की प्रक्रिया पूरी करनी पड़ेगी। इसमें लगभग दो से ढाई घंटे का समय लगता है।
चालान जमा नहीं किया तो होगी मुश्किल 1. तीन बार से अधिक सिग्नल तोडऩे पर लायसेंस निरस्त कर दिया जाएगा। 2. चालान जमा नहीं करने पर चालक को ब्लैक लिस्टेड कर दिया जाएगा।