इस बच्ची को खोजने के लिए नागपुर में पुलिस के 16 दिन तक डटे रहने की पीछे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (CM Bhupesh Baghel) के आदेश का असर भी है। यह मामला पाटन के अमलेश्वर थाना का है। नाबालिग बेटी के गुम होने से परेशान मां जब अपनी परेशानी बताने थाना गई तो उसे वहां मौजूद स्टाफ ने लगभग दुत्कारते हुए कह दिया कि सबको खोजने के लिए टीआई (TI) जाएगा क्या? आवेदन दे दो और जाओ, जांच करेंगे? पुलिस की यह बात सुनकर डरी सहमी परेशान महिला लौट आई।
बेटी के गुमने से चिंतित महिला मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से फरियाद करने ‘भेंट मुलाकातÓ कार्यक्रम में चली गई। कतार में वह मुख्यमंत्री के पास पहुंची तो मुख्यमंत्री ने पूछा क्या काम है। महिला की आंखें डबडबा गई। मुंह से बोल नहीं फूट रहे थे। मुख्यमंत्री ने उसे दिलासा दिया और अपनी परेशानी खुलकर बताने के लिए कहा। मुख्यमंत्री के ऐसा कहने पर उसे हिम्मत आई और उसने खुद को संयत कर मुख्यमत्री को अपनी बेटी के गुमशुदगी की जानकारी दी।
थाने में महिला के साथ हुए बर्ताव को सुनकर मुख्यमंत्री बेहद नाराज हुए। उन्होंने एसपी को निर्देशित किया कि जिस पुलिस कर्मचारी या अधिकारी ने महिला के साथ थाने में अच्छा बर्ताव नहीं किया है उसे ही बच्ची को खोजने के लिए भेजें। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जब तक वह बच्ची को खोज कर न लाए तब तक उसे थाने में बैठने न दें।
गुम बच्चों को ढूंढने में दुर्ग पुलिस ने पूरे प्रदेश में रिकार्ड बनाया है, पर कई बार पुलिस के किसी अधिकारी कर्मचारी की ऐसी हरकत से आला अधिकारियों के सामने परेशानी खड़ी हो जाती है। इस साल 111 बच्चे, 256 महिलाएं और 153 पुरुष को ढंूढ कर निकाला गया। एसपी प्रखर पांडेय के निर्देश पर 20 साल का गुमशुदगी का रिकॉर्ड निकाला कर गुम इंसानों की तलाश का अभियान चलाया गया। एएसपी ग्रामीण लखन लाल पटले ने बताया कि थाना जनसुविधा का केंद्र है। कोई भी फरियादी आता है तो उसकी फरियाद सुनना है और उसका निराकरण करना है। थाना प्रभारियों से कहा गया है कि पुलिस से संबंधित कोई भी मामला आता है तो शिकायत लेनी है। थाने में फरियादियों के साथ बहुत सहज ढंग से पेश आना है। (Durg crime news)