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दुर्ग

अमानवीय: बूढ़ी मां को घर से निकालने वकील बेटे और बहू ने पार की सारी हदें, अंधेरे कमरे में रखा, सीढिय़ों से धकेला मरने

जायदाद (Property) के लिए मां को प्रताडि़त (torment) करने के आरोपी बेटे व बहू के खिलाफ सिटी कोतवाली पुलिस ने अपराध दर्ज किया है। उसका एक बेटा अधिवक्ता और दूसरा इलेक्ट्रिशियन है। (Durg News)

दुर्गJul 10, 2019 / 10:43 am

Dakshi Sahu

old women

अमानवीय: बूढ़ी मां को घर से निकालने वकील बेटे और बहू ने पार की सारी हदें, अंधेरे कमरे में रखा, सीढिय़ों से धकेला मरने

दुर्ग. जायदाद के लिए मां को प्रताडि़त (torment) करने के आरोपी बेटे व बहू के खिलाफ सिटी कोतवाली पुलिस (Police) ने अपराध दर्ज किया है। गयानगर निवासी मोहनीदेवी गौतम (68 वर्ष) ने पुलिस से की शिकायत में बताया है कि उसके दोनों बेटे और दोनों बहुओं ने मकान को हड़पने के लिए सारी हदें पार कर दी है। पहले घर के प्रथम माले में बने कोठरीनुमा अंधेरे कमरे में बंद कर भूखा रखा। इसके बाद भी जब वह घर से नहीं निकली तो उसे सीढ़ी से धकेल दिया। इस घटना में उसका एक पैर फैक्चर हो चुका है। उसका एक बेटा अधिवक्ता और दूसरा इलेक्ट्रिशियन है। (Durg News)
बहू ने भी किया प्रताडि़त
सिटी कोतवाली पुलिस ने अधिवक्ता बेटे हेमंत गौतम (48), उसकी पत्नी वंदना और इलेक्ट्रीशियन बेटे प्रवीण गौतम व उसकी पत्नी रागिनी के खिलाफ गाली गलौज करने, मारपीट करने, घर में तोडफ़ोड़ करने समेत जान से मारने की धमकी देने की धारा के तहत एफआइआर (FIR) दर्ज किया है। वृद्ध महिला ने पुलिस को बताया कि लंबे समय उसके दोनों बेटे उसे मकान से बेदखल कर हड़पने के लिए प्रताडि़त (torment) कर रहे हंै। मकान उनके दिवंगत पति ढालसिहं ने अपनी जीवनकाल में बनवाया है। वह 40 साल से उसी मकान में रह रही है। पति की मृत्यु के बाद बेटे, बहू और बेटी दमाद मकान के एक हिस्से में रह रहे हैं। कुछ माह से उसे घर से निकालने के लिए उसके बेटे और सरकारी नौकरी करने वाली बहू वंदना लगातार उसे प्रताडि़त कर रहे हैं।
कहा जाता है कि बच्चपन और बुढ़ापा दोनों जीवनकाल की दो ऐसी अवस्थाएं होती हैं जहां मनुष्य को प्यार और देखभाल की सबसे ज़्यादा जरूरत होती है। हमारे देश में तो बुजुर्गों को उस पेड़ की तरह माना जाता रहा है, जो जब तक खड़ा है वो तब तक तपती धूप में छांव देता रहेगा, लेकिन अक्सर ऐसे मामले देखने में आ जाते हैं जहां बच्चें अपने बुजुर्गों की अनदेखी करते हैं। मां-बाप को संपत्ति से बेदखल कर दर-दर की ठोकरें खाने के लिए छोड़ दिया जाता है… ऐसा ही एक मामला फिर दुर्ग कोतवाली में आया है। (Durg News)
मां को धमकाते हैं कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता
पहले प्रथम माले में ऐसे कमरे में रखा जहां बिजली पानी की सुविधा नहीं है। उस कमरे में रखने के दौरान उसे खाना तक नहीं दिया। इसके बाद भी जब घर से नहीं निकली तो दोनों बेटों ने सीढ़ी से धक्का दे दिया। धमकी दी कि कोई उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकता।
दोनों बेटों को दिया था पैसा, उड़ा डाले
मोहनी देवी ने पुलिस को बताया कि पति बीएसपी में थे। वीआर लिया था। 15 लाख मिले थे। पांच लाख रुपए मकान की मरम्मत खर्च किए। वकील बेटे को 3 लाख ऑफिस बनाने दिए। इलेक्ट्रीशियन बेटे को 60 हजार बाइक के अलावा 1 लाख दुकान खोलने के लिए दिया था।
अपनी बहन व दामाद को भी मारपीट कर भगा दिया
पीडि़त महिला ने पुलिस को यह भी बताया कि उसकी बेटी संगीता अपने पति के साथ उसी घर में साथ रहती थी। कुछ माह पहले दोनों भाईयों ने घर से निकालने के लिए बहन व दमाद की पिटाई की। बीच बचाव करने जब वह पहुंची तो उसकी भी पिटाई की। इस घटना में उसे चोटें भी आई। भाईयों की मार से डरी बेटी अब अपने पति के साथ अलग रह रही है।
परिवाद के लिए 40 हजार देकर खा गई धोखा
उन्होंने न्यायालय में भरण पोषण का परिवाद प्रस्तुत किया। कोर्ट परिसर में दो वकीलों ने यह भरोसा दिलाते हुए उससे 40 हजार रुपए ले लिया कि वे बेटे से हर महीना खर्च दिलाएगें। अब तक उसे किसी तरह की राहत नहीं मिल रही है। परिवाद का भी अता पता नहीं है।
आइसीयूएडब्ल्यू में शिकायत, काउंसलिंग भी हुई
महिला का कहना है कि वह कानूनी कार्रवाई लिए दर-दर की ठोकरें खाते रही। कही सुनवाई नहीं हुई। फिर उसने आइसीयूएडब्ल्यू में शिकायत की थी। शिकायत के बाद काउंसलिंग हुई और विभाग के अधिकारियों ने जांच पूरी कर एफआइआर दर्ज करने के लिए प्रकरण को सिटी कोतवाली भेजा। एसआइ सिटी कोतवाली सरोज चावरे, प्रकरण के विवेचक ने बताया कि आइसीयूएडब्ल्यू में शिकायत हुई थी। जांच के बाद प्रकरण को अग्रिम कार्रवाई के लिए थाना भेजा गया था। इसके आधार पर ही महिला के दोनों बेटे व दोनों बहुओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज किया गया है। आरोपियों की गिरफ्तारी जल्द की जाएगी।
यह कहता है कानून

1 . कोई भी वरिष्ठ नागरिक, जिसकी आयु 60 वर्ष अथवा उससे ज्यादा हैं, जो कि अपनी आय या अपनी संपत्ति के द्वारा होने वाली आय से अपना भरण पोषण करने में असमर्थ हैं, वो अपने व्यस्क बच्चों या रिश्तेदारों से भरण पोषण प्राप्त करने के लिए आवेदन कर सकते हैं।
2 . वरिष्ठ नागरिक, माता-पिता अपने क्षेत्र के अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के पास लगा सकते हैं। अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) न्यायालय द्वारा अधिकतम दस हजार रूपए तक प्रतिमाह का भरण पोषण खर्च वरिष्ठ नागरिक, माता पिता को दिलाया जा सकता है।
3 . धारा 125 के प्रावधान के तहत भी न्यायिक दण्डाधिकारी प्रथम श्रेणी के न्यायालय में भरण पोषण का आवेदन पेश कर सकते हैं।
4 . कानून में ये भी है कि राज्य के हर जिले में कम से कम एक वृद्धाश्रम हो ताकि वो वरिष्ठ जिनका कोई नहीं है, इन वृद्धाश्रमों में उनकी देखभाल हो सके।
5 . सरकारी अस्पतालों में बुजुर्गो के उपचार का अलग से प्रावधान है उन्हें ज्यादा वक्त तक इंतजार ना करना पड़े इसके लिए अलग से लाइन की व्यवस्था होती है।
6 . वरिष्ठ की उपेक्षा या फिर उन्हें घर से निकाल देना एक गंभीर अपराध है और इसके लिए पांच हजार का जुर्माना या तीन महीने की कैद या दोनों हो सकते हैं।
7 . माता पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरण पोषण कल्याण अधिनियम 2007 में विस्तार से जानकारी दी है। साथ ही किस धारा के तहत किस तरह राहत मिल सकती है, उसका उल्लेख किया गया है।
2 . इस अधिनियम में ये भी प्रावधान है कि अगर रखरखाव का दावा करने वाले दादा-दादी या माता-पिता हैं और उनके बच्चे या पोता-पोती अभी नाबालिग हैं तो वो अपने रिश्तेदार जो उनकी मृत्यु के बाद उनका उत्तराधिकारी होगा पर भी दावा कर सकते हैं।
2 . वरिष्ठ नागरिक इस शर्त पर अपनी संपत्ति अपने उत्तराधिकारी के नाम कर चुका है कि वो उसकी आर्थिक और शारीरिक जरूरतों का भरण पोषण करेगा और ऐसे में अगर संपत्ति का अधिकारी ऐसा नहीं करता है तो माता-पिता या वरिष्ठ नागरिक अपनी संपत्ति वापस ले सकता है ।
कड़े है नियम
अधिवक्ता अमर चोपड़ा ने बताया कि ऐसे प्रकरणों के लिए कानून बनाया गया है।

इसमें मुख्य बात यह है कि पीडि़त की उम्र 60 वर्ष से अधिक होना अनिवार्य है। धारा 4 व 5 में उल्लेख है कि कोईभी माता पिता अपने भरण पोषण के लिए संतान से निश्चित राशि ले सकता है। अगर उसके कोई संतान नहीं है तो वह अपने करीबी रिश्तेदारों से भी भरण पोषण ले सकता है।इसके लिए अधिनियम में वृद्ध के वारिश के बारे में स्पष्ट उल्लेख है। इसमें सरकार के लिए भी जिम्मेदारी निर्धारित की गई है। धारा 12 व 19 में उल्लेख किया गया है कि शासन को स्वत: से वरिष्ठ नागरिकों के लिए कल्याणकारी योजना का निर्माण करना है। उनके ठहरने, विश्राम करने से लेकर भोजन व चिकित्सा व्यवस्था को व्यवस्थित तरीके से क्रियान्वयन करना है। इसके अलावा धारा 24 में प्रताडि़त करने व हिंसा का प्रयोग करने पर 3 माह कारावास और जुर्माना का प्रावधान है। इस तरह के प्रकरणों क ी सुनवाई के लिए एसडीएम को सक्षम अधिकारी और अपील के लिए उसके ऊपर के अधिकारी को नियुक्त किया गया है। (Durg News)
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