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दस का दम

मरने से पहले फूट-फूटकर रोए थे रबिंद्रनाथ टैगोर, ये थी उनकी आखिरी ख्वाहिश

साहित्य जगत में बेहतरीन काम के लिए रबिंद्रनाथ को साल 1913 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था
रबिंद्रनाथ के मौत से पहले उनके दोस्त मिलने पहुंचे थे, तब वे काफी बीमार थे

May 07, 2019 / 02:07 am

Soma Roy

Rabindranath Tagore

मरने से पहले फूट-फूटकर रोए थे रबिंद्रनाथ टैगोर, ये थी उनकी आखिरी ख्वाहिश

नई दिल्ली। देश का राष्ट्रगान लिखने और पहला नोबेल पुरस्कार जीतने वाले महान साहितयकार रबिंद्रनाथ टैगोर का आज जन्मदिन है। 7 मई 1861 के दिन ही वे दुनिया में आए थे। उनके जन्मदिन के मौके पर हम आपको रबिंद्रनाथ से जुड़ी कुछ ऐसी बातों के बारे में बताएंगे जिन्हें बेहद ही कम लोग जानते हैं। इसमें उनकी मरने से पहले की आखिरी ख्वाहिश भी शामिल है।
1.रबिंद्रनाथ टैगोर ने यूं तो हजारों कविताएं और उपन्यास लिखे हैं।ण् उनकी लेखनी को लोगों ने खूब सराहा भी है। साहित्य जगत में उनके विशेष योगदान के लिए उन्हें नोबेल यानि शांति पुरस्कार से नवाजा भी गया है। मगर क्या आपको पता है रबिंद्रनाथ खुद अपनी कविताओं से संतुष्ट नहीं थे।
2.इस बात का खुलासा खुद रबिंद्रनााथ ने अपनी मौत से पहले किया था। एक रशियन लेख में छपी रिपोर्ट के मुताबिक रबिंद्रनाथ की मृत्यु से पहले उनके एक दोस्त उनसे मिलने पहुंचे थे। तब उन्होंने रबिंद्रनाथ का हौंसला बढ़ाते हुए कहा था कि वे भले ही इस दुनिया को अलविदा कह दे, लेकिन उनकी कविताएं हमेशा अमर रहेंगी।
4.ऐसे में आपको अपने काम के लिए गर्व होना चाहिए। तभी अपने दोस्त की बातें सुनकर रबिद्रनाथ टैगोर की आंखों में आंसू आ गए और वे फूट-फूटकर रोने लगे। दरअसल रबिंद्रनाथ मरने से पहले अपनी सबसे बेहतरीन कविताएं लिखना चाहते थे। मगर उनकी शारीरिक कमजोरी के चलते वो इन्हें लिखने में नाकामयाब रहें। ऐसे में उनकी ये इच्छा अधूरी ही रह गई।
5.रबिंद्रनाथ टैगोर ने मरने से पहले अपने दोस्त से कहा था कि वे जिस काम के लिए उनकी तारीफ कर रहे हैं, असल में वो उनकी बेहतरीन रचना नहीं है। क्योंकि जो विचार उनके दिमाग में तब आ रहे थे, जब वो बीमार थे मगर वो उसे लिख नहीं पा रहे थे।
6.रबिंद्रनाथ चाहते थे कि वे अपने उन विचारों को कविता की शक्ल दें जो उन्हें मरने से पहले मस्तिष्क में आ रहे थे। उनके मुताबिक उनकी वो कविताएं उनकी सबसे बेहतरीन कविताओं में से एक हो सकती थी।
7.मालूम हो कि रबिंद्रनाथ टैगोर को उनकी महान रचना गीतांजली के लिए सन 1913 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया था। वो पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें ये पुरस्कार मिला था। गीतांजली में उनकी 157 कविताएं शामिल थीं।
8.उन्हें ब्रिटिश सरकार की ओर से सन 1915 में नाइटहुड अवार्ड से भी नवाजा गया था। मगर अंग्रेजों की ओर से जलियावाला बाग कांड में भारतीयों पर किए अत्याचार के चलते उन्होंने ये टाइटल स्वीकार नहीं किया था।
9.साहित्य जगत के अलाावा रबिंद्रनाथ टैगोर ने बंगाली गीतों की रचना में भी अपना योगदान दिया है। उन्होंने करीब 2230 गाने लिखे और कम्पोज किए हैं। इसके अलावा उन्होंने भारत समेत बांग्लादेश और श्रीलंका के लिए भी राष्ट्रगान लिखा है।
10.रबिंद्रनाथ टैगोर ने लॉ की भी पढ़ाई की है। उन्होंने थोड़े समय के लिए यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन से पढ़ाई की। बाद में उन्होंने खुद से ही शेक्सपीयर रेलिजिओ, कॉरिओलैनस, एंटोनी और क्लियोपैट्रा की स्टडी खुद से ही की।

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