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पुण्यतिथि : इमरजेंसी के बाद इंदिरा की वापसी में संजय गांधी ने निभाई थी बड़ी भूमिका, जानें उनसे जुड़ी 10 खास बातें

Sanjay Gandhi death anniversary : 23 जून साल 1980 को एक प्लेन क्रैश में संजय की मौत हो गई थी
संजय गांधी ने कांग्रेस पार्टी की साख मजबूत करने के लिए नौ राज्यों की विधानसभा भंग कराई थी

नई दिल्लीJun 23, 2019 / 10:26 am

Soma Roy

sanjay gandhi

पुण्यतिथि : इमरजेंसी के बाद इंदिरा की वापसी में संजय गांधी ने निभाई थी बड़ी भूमिका, जानें उनसे जुड़ी 10 खास बातें

नई दिल्ली। गांधी परिवार की शान को आगे बढ़ाने वाले संजय गांधी की आज 39वीं पुण्यतिथि है। संजय शुरू से ही निडर स्वभाव के रहे हैं। तभी तेज ड्राइविंग से लेकर एयरक्राफ्ट पर करतब दिखाना उन्हें काफी अच्छा लगता था। मगर उनकी यही चपलता उन्हें मौत के मुंह तक ले गई। दरअसल साल 23 जून साल 1980 में एक प्लेन क्रैश के दौरान उनकी मौत हो गई थी। आज हम आपको संजय गांधी से जुड़ी कुछ बातों के बारे में बताएंगे।
1.संजय गांधी देश की आयरन लेडी और पहली प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे थे। अपनी मां की तरह ही संजय में भी देश के लिए कुछ करने का जोश था। तभी उन्होंने 28 साल की उम्र में इंदिरा से देश की सत्ता संभालने की बात कही थी।
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2.राजनीति के दांवपेचों को समझना और विरोधियों को मात देने की कला संजय में बचपन से ही थी। तभी उन्होंने साल 1977 में इमरजेंसी के दौरान अपनी मां इंदिरा के हाथ से गई सत्ता को वापस दिलाने में महत्पूर्ण भूमिका निभाई थी।
3.उन्होंने अपने कूटनीतज्ञ ज्ञान से साल 1980 में इंदिरा गांधी की दोबारा सत्ता में वापसी कराई थी। इस दौरान इंदिरा गांधी पहले से ज्यादा मजबूत दिखाई दी थीं।

4.जानकारों के मुताबिक इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री की कुर्सी वापस दिलाने के लिए संजय ने खूब मशक्कत की थी। उन्होंने रात-दिन पार्टी मीटिंग करने के साथ बेझिझक होकर सड़कों पर टिकट बांटे थे। साथ ही ज्यादा से ज्यादा युवाओं को पार्टी में शामिल होने के लिए प्रेरित भी किया था।
5.बताया जाता है कि इंदिरा गांधी को उनकी दावेदारी वापस दिलाने के बाद भी संजय शांत नहीं हुए थे। उन्होंने कांग्रेस पार्टी की साख को मजबूत करने के लिए नौ राज्यों की विधान सभा भंग करवाई थी।
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6.चूंकि इमरजेंसी के बाद कांग्रेस के विरोधी दलों के नेता उनके गढ़ में काबिज हो चुके थे। ऐसे में उनको वहां से बेदखल करने के लिए संजय गांधी ने रणनीति बनाई थी। विधानसभा भंग होने के बाद कांग्रेस ने दोबारा वापसी की थी। पार्टी ने 9 में से 8 राज्यों में जीत हासिल की थी।
7.संजय गांधी की लगन और मेहनत को देखने हुए उनकी मां इंदिरा ने उन्हें मई 1980 में कांग्रेस पार्टी का महासचिव बनाने का ऐलान किया था।

8.इससे पहले संजय अमेठी से सांसद थे। उन्होंने पहली बार सन् 1977 में अमेठी से चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें उस दौरान जनता पार्टी के वीरेंद्र सिंह से हार का सामना करना पड़ा था। मगर इसके ठीक तीन साल बाद संजय ने 50 फीसदी से ज्यादा वोट पाकर सासंद की कुर्सी हासिल कर ली थी।
9.संजय गांधी के निजी जिंदगी की बात करें तो वे काफी निडर स्वभाव के थे। तभी वो तेज ड्राइविंग और प्लेन चलाते थे। उनके इस अंदाज से लोग डरे हुए भी रहते थे। मगर संजय के जोश के चलते उनकी मां इंदिरा ने कभी इस बात का विरोध नहीं किया।
10.संजय सफदरगंज के एयरपोर्ट से एयरक्राफ्ट उड़ाते थे। मगर 23 जून सन् 1980 उनके लिए एक काला दिन साबित हुआ। दरअसल संजय को उस दिन पिट्स टू एस नामक एक नया एयरक्राफ्ट उड़ाने को मिल रहा था। लाल रंग का ये प्लेन बहुत खूबसूरत था। इसलिए संजय में इसे उड़ाने का काफी जोश था।
11.संजय इस एयरक्राफ्ट को हवा में उड़ाने के लिए तैयार थे। इसमें उनके साथ दिल्ली फलाइंग क्लब के चीफ इंस्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना भी साथ थे। प्लेन के उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही ये अशोका होटल के पास पहुंच गया। वहां से एयरक्राफ्ट में थोड़ी गड़बड़ी आने लगी थी। इसके बाद जब संजय विलिंगडन स्थित दफ्तर के पास पहुंचे तो वहां प्लेन का नियंत्रण पूरी तरह से चला गया। प्लेन क्रैश होने से मौके पर ही संजय गांधी और उनके सहयोगी की मौत हो गई थी।

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