अखिलेश यादव से जुड़ी ये 10 बातें हैं बेहद दिलचस्प, इसमें छुपा है टेढ़ी नाक का भी राज 1.देवी मां का ये मंदिर गुजरात के कच्छ में है। ये भुज से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित है।
2.आशापुरा माता मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। इसे जडेजा राजपूतों ने अपने शासनकाल में बनवाया था। हालांकि इस बारे में कुछ विद्वानों को संशय है। 3.पुराणों के अनुसार आशापुरा माता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था। क्योंकि उस वक्त राजपूत सम्मा वंश के लोग देवी मां की आराधना करते थे।
5.आशपुरा मां की महिमा के चलते नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल बारिया, चौहान, जडेजा राजपूत और कच्छ के लोग उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं। वे कोई भी शुभ कार्य करने से पहले देवी मां के दर्शन करने आते हैं।
गुरुवार को घर से बाहर जाते समय जेब में रख लें इन 10 में से कोई भी एक चीज, मिलेगी कामयाबी 6.आशापुरा मां को अन्नपूर्णा देवी का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर में जो भी मुराद मांगी जाती है, वो जरूर पूरी होती है। इसीलिए देवी के इस धाम का नाम आशापुरा यानि आशाओं को पूरा करने वाली देवी का मंदिर रखा गया।
7.आशापुरा मां शुभ फल देने वाली हैं। उनके दरवाजे से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है। माता के इसी चमत्कार के चलते पीएम नरेंद्र मोदी की भी इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। वो जब भी गुजरात में होते हैं या कोई महत्वपूर्ण कार्य शुरू करते हैं तो देवी के दर्शन करने आते हैं और मत्था टेकते हैं।
8.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार आशापुरा माता का नाम पहले शाकम्भरी देवी था। क्योंकि चौहान वंश का राज्य शाकम्भर यानि सांभर में स्थापित हुआ तब से ही चौहानों ने मां आद्याशक्ति को शाकम्भरी के रूप में स्वीकार करके उनकी पूजा शुरू की थी।
9.आशापुरा माता का मंदिर काफी चमत्कारी है। यहां देवी के मर्जी के अनुसार ही सारे काम होते हैं। इस बात का जिक्र रूद्रयमल तंत्र में भी मिलता है। 10.देवी मां का ये मंदिर भूकंप के चलते दो बार क्षतिग्रस्त भी हो चुका है। इस कारण इसका पुनर्निर्माण हुआ है। मंदिर में देवी मां की 6 फीट की ऊंची मूर्ति है। यह लाल रंग की है।