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देवी मां के इस मंदिर की ये 10 बातें जानना है जरूरी, पीएम नरेंद्र मोदी भी टेकते हैं माथा

Published: Jun 06, 2019 03:26:28 pm

Submitted by:

Soma Roy

रुद्रमलय तंत्र में है देवी मां के इस चमत्कारिक मंदिर का जिक्र
निर्माण को लेकर संशय, 9वीं और 14वीं शताब्दी में मंदिर के तैयार होने का है दावा

ashapura mata temple

देवी मां के इस मंदिर की ये 10 बातें जानना है जरूरी, पीएम नरेंद्र मोदी भी टेकते हैं माथा

नई दिल्ली। भारत में प्रसिद्ध मंदिरों की कमी नहीं है। यहां जगह-जगह कई ऐसे धार्मिक स्थान हैं जिनके चमत्कारों के किस्से जग जाहिर है। देवी मां का एक ऐसा ही अनोखा मंदिर गुजरात में भी है। जिसका नाम आशापुरा माता का मंदिर है। मान्यता है कि जो भी भक्त मंदिर में अपनी फरियाद लेकर आता है, उसकी सारी इच्छाएं पूरी होती है। माता का ये धाम इतना चमत्कारी है कि पीएम नरेंद्र मोदी भी यहां मत्था टेकने आते हैं।
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1.देवी मां का ये मंदिर गुजरात के कच्छ में है। ये भुज से करीब 95 किलोमीटर दूर स्थित है।
2.आशापुरा माता मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में हुआ था। इसे जडेजा राजपूतों ने अपने शासनकाल में बनवाया था। हालांकि इस बारे में कुछ विद्वानों को संशय है।

3.पुराणों के अनुसार आशापुरा माता मंदिर का निर्माण 9वीं शताब्दी में हुआ था। क्योंकि उस वक्त राजपूत सम्मा वंश के लोग देवी मां की आराधना करते थे।
5.आशपुरा मां की महिमा के चलते नवानगर, राजकोट, मोरवी, गोंडल बारिया, चौहान, जडेजा राजपूत और कच्छ के लोग उन्हें अपनी कुलदेवी मानते हैं। वे कोई भी शुभ कार्य करने से पहले देवी मां के दर्शन करने आते हैं।
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6.आशापुरा मां को अन्नपूर्णा देवी का अवतार माना जाता है। कहते हैं कि इस मंदिर में जो भी मुराद मांगी जाती है, वो जरूर पूरी होती है। इसीलिए देवी के इस धाम का नाम आशापुरा यानि आशाओं को पूरा करने वाली देवी का मंदिर रखा गया।
7.आशापुरा मां शुभ फल देने वाली हैं। उनके दरवाजे से कोई भी खाली हाथ नहीं लौटता है। माता के इसी चमत्कार के चलते पीएम नरेंद्र मोदी की भी इस मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। वो जब भी गुजरात में होते हैं या कोई महत्वपूर्ण कार्य शुरू करते हैं तो देवी के दर्शन करने आते हैं और मत्था टेकते हैं।
8.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार आशापुरा माता का नाम पहले शाकम्भरी देवी था। क्योंकि चौहान वंश का राज्य शाकम्भर यानि सांभर में स्थापित हुआ तब से ही चौहानों ने मां आद्याशक्ति को शाकम्भरी के रूप में स्‍वीकार करके उनकी पूजा शुरू की थी।
9.आशापुरा माता का मंदिर काफी चमत्कारी है। यहां देवी के मर्जी के अनुसार ही सारे काम होते हैं। इस बात का जिक्र रूद्रयमल तंत्र में भी मिलता है।

10.देवी मां का ये मंदिर भूकंप के चलते दो बार क्षतिग्रस्त भी हो चुका है। इस कारण इसका पुनर्निर्माण हुआ है। मंदिर में देवी मां की 6 फीट की ऊंची मूर्ति है। यह लाल रंग की है।
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