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दस का दम

देवी मां के इस मंदिर की मिट्टी चाटाते ही ठीक हो जाता है रोगी, जानें इससे जुड़ी 10 खास बातें

मध्य प्रदेश से करीब 55 किलोमीटर दूर स्थित है रतनगढ़ माता का मंदिर
इस मंदिर की मिट्टी को भभूत की तरह प्रयोग करने से व्यक्ति पर किसी तरह के जहर का असर नहीं होता है

May 11, 2019 / 04:36 pm

Soma Roy

ratangarh mata temple

देवी मां के इस मंदिर की मिट्टी चाटाते ही ठीक हो जाता है रोगी, जानें इससे जुड़ी 10 खास बातें

नई दिल्ली। यूं तो भारत में देवी मां के कई चमत्कारिक मंदिर हैं और सभी का अलग-अलग महत्व भी है। मां का एक ऐसा ही अद्भुत मंदिर है रतनगढ़वाली माता का मंदिर। कहा जाता है कि मंदिर की मिट्टी इतनी पवित्र है कि इसे चाटाने भर से रोगी ठीक हो जाता है। उस पर सांप , बिच्छू आदि विषैले जीवों के जहर का कोई असर नहीं होता है। इसके अलावा माता का ये मंदिर अन्य कई अविस्मरणीय चीजों से भरा हुआ है।
1.रतनगढ़ माता का मंदिर मध्य प्रदेश से करीब 55 किलोमीटर दूर रामपुरा गांव के पास स्थित है। यह पवित्र स्थान सिंध नदी के किनारे बना हुआ है।

2.मंदिर के आस-पास घने जंगल है। प्रकृति के इस अविस्मरणीय स्थान पर देवी मां का वास होता है। तभी जो भी भक्त यहां दर्शन के लिए आता है उसके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
3.इस मंदिर में देवी मां के दर्शन के अलावा कुंवर महाराज की भी पूजा की जाती है। वे माता के बड़े भक्त थे।

4.मान्यता है कि इस मंदिर की मिट्टी एक चमत्कारिक औषधी की तरह काम करती है। इसे खिलाने से व्यक्ति पर किसी भी तरह के जहर का असर नहीं होता है।
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5.बताया जाता है कि जिन लोगों को सांप, बिच्छू आदि कोई जहरीला जीव काट लेता है तो उन्हें मंदिर प्रांगण की मिट्टी चटवानी चाहिए।
6.इस मिट्टी को भभूत के तौर पर प्रयोग किया जाना चाहिए। इससे देवी मां की पीड़ित पर कृपा होगी। जिससे वो जल्द ही स्वस्थ हो जाएगा।

7.इस मिट्टी में इतनी ताकत है कि ये दूसरी गंभीर बीमारियों में भी रोगी को लाभ पहुंचाता है। इससे व्यक्ति पर आने वाली मुसीबतें भी खत्म होती हैं।
8.इंसानों के अलावा जो पशु बीमार होते हैं उनका भी इलाज इस मंदिर में होता है। स्थानीय लोगों के अनुसार दीपावली के बाद पड़ने वाले भाई दूज के दिन अगर पशु को बांधने वाली रस्सी देवी मां के पास रखी जाए। इसके बाद उस रस्सी से दोबारा पशु को बांधा जाए तो वो जल्द ही ठीक हो जाएगा।
9.बताया जाता है कि मंदिर का निर्माण मुगलकाल के दौरान हुआ था। उस वक्त युद्ध के दौरान शिवाजी विंध्याचल के जंगलों मे भूखे-प्यासे भटक रहे थे। तभी कोई कन्या उन्हें भोजन देकर गई। जब शिवाजी ने अपने गुरू स्वामी रामदास से उस कन्या के बारे मे पूछा तो उन्होने अपनी दिव्य दृस्टि से देखकर बताया कि वोजगत जननी माँ दुर्गा हैं।
10.इस मंदिर में दीपावली अगले दिन यानि भाई दूज के दिन विशेष मेले का आयोजन होता है। यहां दूर-दूर से भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

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