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सवर्णों को आरक्षण देने के बाद भी मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत, बेरोजगारी दर 27 महीने के उच्चत्तम स्तर पर

सेंटर फाॅर माॅनिटरिंग इंडियन इकोनाॅमी (सीएमआर्इर्इ) ने एक आंकड़ा जारी किया है जिसके मुताबिक 2018 में कुल 1 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं।

नई दिल्लीJan 07, 2019 / 04:54 pm

Ashutosh Verma

Unemployment Rate in India

सवर्णों को आरक्षण देने के बाद भी मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ी मुसीबत, बेरोजगारी दर 27 महीने के उच्चत्तम स्तर पर

नर्इ दिल्ली। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवार्इ वाली एनडीए सरकार आर्थिक रूप से कमजोर सवर्णों को अारक्षण देने की घोषणा की है। सरकार यह आरक्षण नौकरी आैर शिक्षा के क्षेत्र में देगी। इस घोषणा के ठीक कुछ मिनटों बाद ही सेंटर फाॅर माॅनिटरिंग इंडियन इकोनाॅमी (सीएमआर्इर्इ) ने एक आंकड़ा जारी किया है जो आगामी लोकसभा चुनाव में एनडीए सरकार के लिए मुसीबतें खड़ी कर सकता है। दरअसल, CMIE ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि बीते कुछ सालों में बेरोजगारी दर में तेजी देखने को मिली। इस रिपोर्ट के मुताबिक गत दिसंबर 2018 में देश का बेरोजगारी दर बढ़कर 7.38 फीसदी हो गया है।


नौकरी पेशा लोगों की संख्या में आर्इ गिरावट

इस आंकड़े के जारी होने के बाद पीएम मोदी के लिए परेशान करने वाली बात है कि बेरोजगारी दर का यह अांकड़ा बीते 27 माह में सबसे उच्चतम स्तर पर है। साथ ही बीते 12 महीनों में कुल नौकरी पेशा भारतीयों की कुल संख्या भी 1.09 करोड़ घटी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018 में कुल 1.1 करोड़ वेतनकर्मी बेरोजगार हुए हैं। unemployment Rate in India शीर्षक से जारी इस रिपोर्ट में सीएमआर्इर्इ ने दर्शाया है कि दिसंबर 2018 तक कुल 39.69 करोड़ काम करने वाले उम्र के लोग कार्यरत हैं।


त्रिपुरा आैर हिरयाणा में सबसे अधिक लोग हुए बेरोजगार

दिसंबर 2017 में यह आंकड़ा 40.78 करोड़ था। अंतिम बार सितंबर 2016 में बेरोजगारी दर 8.46 फीसदी रहा था। राज्यवार तौर पर नजर डालें तो त्रिपुरा आैर हरियाणा सबसे अधिक रही है। इन दोनों राज्यों में क्रमशः 28.8 फीसदी आैर 24.4 फीसदी रही है। सबसे खराब स्थिति ग्रमीख भारत की रही है, खासतौर पर महिला कर्मचारियों को लेकर। ग्रामीण भारत में करीब 83 फीसदी लोग बेरोगार हुए हैं जोकि भारत की कुल आबादी का दो-तिहार्इ हिस्सा है।


ग्रामीण महिलाआें को झेलनी पड़ी सबसे अधिक मार

देश में बेरोजगारी की मार सबसे अधिक महिलाआें को झेलनी पड़ी है। ग्रामीण भारत में साल 2018 में कुल 65 लाख महिलाआें की हिस्सेदारी रही है। शहरी क्षेत्र में भी कुल 23 लाख महिलाएं बेरोजगार हुर्इ है। इसी दौरान 5 लाख पुरूषों को नए रोजागार मिले हैं। साल 2014 में भाजपा के चुनावी वादे में करीब 20 लाख नए रोजगार के अवसर प्रदान करने की बात की गर्इ थी। इसके बाद इस मोर्चे पर सरकार की जमकर आलोचना भी हुर्इ है।

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