सभी की रकम में आई गिरावट
आपको बता दें कि सिर्फ भारतीय जमा ही स्विस बैंकों में नहीं घटा है बल्कि इसके अलावा सभी विदेशी ग्राहकों का कुल डिपॉजिट 4 फीसदी घटकर 1.40 लाख करोड़ स्विस फ्रैंक (99 लाख करोड़ रुपए) रह गया है। ज्यूरिख स्थित स्विटजरलैंड का केंद्रीय बैंकिंग प्राधिकरण हर साल इससे जुड़े आंकड़े जारी करती है।
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BIS की रिपोर्ट के अनुसार
बैंक फॉर इंटरनैशनल सैटलमेंट (बीआईएस) के ‘लोकेशनल बैंकिंग स्टैटिस्टिक्स’ के मुताबिक, साल 2018 में भारतीयों द्वारा स्विस बैंक में जमा रकम में 11 फीसदी की गिरावट आई है। भारतीय और स्विस सरकार ने बीते साल कहा था कि लोकेशनल बैंकिंग स्टैटिस्टिक्स स्विस बैंक में भारतीयों द्वारा जमा रकम का ज्यादा विश्वसनीय मापदंड है।
SBN ने जारी किया पिछले सालों का रिकॉर्ड
एसएनबी के आंकड़ों के मुताबिक, स्विस बैंक की भारतीय ग्राहकों की देनदारी साल 2017 में 50 फीसदी से अधिक बढ़कर 7,000 करोड़ रुपए रही, इससे पिछले तीन साल में इसमें गिरावट आई थी। साल 2018 में हालांकि इस आंकड़े में एक बार फिर गिरावट आई और यह 6,757 करोड़ रुपए हो गया। यह आंकड़ा दो दशक का दूसरा न्यूनतम स्तर है। साल 1995 में भारतीयों द्वारा जमा कुल रकम 5,061 करोड़ रुपए रही थी। साल 2016 में भारतीयों द्वारा जमा कुल रकम सबसे कम 4,725 करोड़ रुपए रही थी। स्विस नैशनल बैंक ने इन आंकड़ों को 1987 में जारी करना शुरू किया था।
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इसमें बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए आधिकारिक आंकड़े
एसएनबी के अनुसार स्विट्जरलैंड के बैंकों की भारतीय ग्राहकों के प्रति कुल देनदारियों के आंकड़ों में भारतीय ग्राहकों के स्विस बैंकों में जमा कुल कोष को लिया गया है। इसमें इंडिविजुअल्स, बैंकों और उपक्रमों का जमा शामिल है। इसमें भारत में स्विट्जरलैंड के बैंकों का डेटा और साथ में गैर जमा देनदारियां भी शामिल हैं। एसएनबी ने जिस कोष को स्विस बैंकों की देनदारियों के रूप में दिखाया है वे बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए आधिकारिक आंकड़े हैं। एसएनबी ने जिन आंकड़ों को जारी किया है, वह स्विस बैंक का आधिकारिक आंकड़ा है और भारत में स्विस बैंक में जमा कथित तौर पर काले धन के जिन आंकड़ों की चर्चा होती है, उसे यह सूचित नहीं करता है।
(एजेंसी फीड के साथ)
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