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किम-ट्रंप की मुलाकातः केवल 90 मिनट में बचाए 65 हजार बिलियन डाॅलर

अगर मौजूदा समय की बात करें तो http://statisticstimes.com के मुताबिक वर्ल्ड जीडीपी 87,505 बिलीयन डाॅलर है।

नई दिल्लीJun 12, 2018 / 12:21 pm

Saurabh Sharma

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किम-ट्रंप की मुलाकातः केवल 48 मिनट में बचाए 65 हजार बिलियन डाॅलर

नर्इ दिल्ली। कुछ महीने पहले दुनिया तीसरे विश्व के द्वार पर खड़ा था। नाॅर्थ कोरिया आैर अमरीका आमने सामने थे। दोनों आेर से बयानबाजी हो रही है। दुनिया की विश्वशक्तियां दो खेमों में एक बार फिर से बंटती हुर्इ दिखार्इ दी। लेकिन दोनों ने देशों ने समझदारी दिखार्इ आैर सिंगापुर में हुर्इ मात्र 90 मिनट की दो सत्रों की मुलाकात ने तीसरे विश्व युद्घ को एक तरीके से टाल दिया। इस मुलाकात ने सिर्फ तीसरे विश्व युद्घ को ही नहीं टाला बल्कि दुनिया को बड़े नुकसान से भी बचा लिया। वो देश को तबाह होते ही जो इस वाॅर से डायरेक्ट जुड़े होते। उन देशा को भी नुकसान होता जो इनडायरेक्ट तरीके से इस वाॅर के साथ जुड़े हुए होते। आइए आपको भी बताते हैं कि इस मुलाकात की कितनी इकाॅनोमी को बचा लिया है।

ये दुनिया की जीडीपी का आंकड़ा
जब भी युद्घ होता है तो उसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ता है। इतिहास भी इस बात का गवाह रहा है। जब वर्ल्ड वाॅर होता है तो उसका असीर पूरी दुनिया की जीडीपी पर पड़ता है। पहले आैर दूसरे विश्व युद्घ में भी कर्इ देश तबाह हो गए थे। भारत को भी इसका बड़ा नुकसान झेलना पड़ा था।अगर मौजूदा समय की बात करें तो http://statisticstimes.com के मुताबिक वर्ल्ड जीडीपी 87,505 बिलीयन डाॅलर है। अगर इसे भारत रुपए में तौला जाए तो 5,901774725000001 रुपए है।

75 फीसदी नुकसान का अनुमान
जानकारों की मानें तो किम आैर ट्रंप की मुलाकात ने दुनिया को एक बड़े इकाॅनोमिक नुकसान से बचा लिचा है। अगर दुनिया में तीसरा विश्व युद्घ होता तो दुनिया की जीडीपी को करीब 75 फीसदी का नुकसान होता। दुनिया की जीडीपी मौजूदा समय में 87,505 बिलीयन डाॅलर है। इसका 75 फीसदी करीब 65 हजार बिलीयन डाॅलर बनता है। जिसे भारतीय रुपयों में अांका गया तो करीब 44 लाख अरब रुपए बैठ रहा है। आप यकीन नहीं क सकते कि दुनिया पर तीसरे विश्व युद्घ से कितना बड़ा नुकसान होने की उम्मीद थी।

इन देशों की इकाॅनोमी को पहुंचती सबसे ज्यादा चोट
अगर दुनिया के सबसे बड़े इकाॅनोमिक देशों की बात करें तो सबसे बड़ा नुकसान इन्हीं देशों को होता है। ताज्जुब की बात तो ये है कि दुनिया की 12 सबसे बड़ी इकाॅनोमी में भारत के अलावा यूएन सुरक्षा परिषद के पांचों स्थार्इ सदस्यों के अलावा कोरिया आैर नाटो देश भी शामिल हैं। इन सभी 12 देशों की वर्ल्ड जीडीपी में करीब 71 फीसदी हिस्सदारी है। अगर 12 देश युद्घ में कूदते तो इन सभी देशों की जीडीपी को भारी नुकसान झेलना पड़ता। जिससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि दुनिया के बाकी देशों का क्या हाल होता?

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
इस बारे में जब वरिष्ठ अर्थशास्त्री आैर जेएनयू के रिटायर्ड प्रोफेसर अरुण कुमार से बात की गर्इ तो उन्होंने बताया कि वैसे तो तीसरे विश्व युद्घ की संभावना कम ही थी। लेकिन होता तो पूरी दुनिया खत्म हो जाती। हो ये भी सकता था कि अमरीका बड़ी महाशक्तियों को आश्वस्त कर उन्हें नाॅर्थ कोरिया का समर्थन करने से मना करता। इसमें कर्इ तरह की बातें आैर हो सकती थी। इन सभी बातों को सोच समझकर ही आज दोनों देशों के राष्ट्राध्यक्ष आपस में बैठकर बात कर रहे हैं। जो पूरी दुनिया के विकास आैर इकाॅनोमी के लिए बेहतर है।

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