सीनियर सैकण्डरी के पश्चात भी इस विषय को कॅरियर के रूप में चुना जा सकता है। बायोलॉजी वाले विद्यार्थी बी.एस.सी. पास कार्स एवं ऑनर्स से इस विषय को चुन कर आगे पोस्ट ग्रेजुएशन कर रिसर्च, टीचिंग एवं बायो टेक्नोलॉजी उद्योग में अपना कॅरियर बना सकते हैं । राजस्थान विश्वविद्यालय के ‘सेंटर फॉर कन्वर्जिंग टेक्नोलॉजी‘ के चार वर्षीय (बी.एस.सी./बी.टैक) रोजगारोन्मुखी कोर्स में प्रवेश ले सकते हैं । इसके अलावा अण्डरग्रेजुएट बी.टैक. कोर्स के लिए गुरूगोविंद सिंह यूनिवर्सिटी दिल्ली, एस.आर.एन. विश्वविद्यालय चेन्नई, वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एवं एमिटी यूनिवर्सिटी आदि में प्रवेश प्राप्त किया जा सकता है। साइंस मैथ्स वाले विद्यार्थी आई.आई.टी. एवं कई प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों से बी.टैक, एम.टैक कर इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। किसी कारणवश ग्रेजुएट स्तर पर अच्छा कॉलेज न मिले तो बी.एस.सी., एम.एस.सी. के पश्चात बायोटैक डिग्री के लिए प्रतिष्ठित आई.आई.टी. में लेट्रल एंट्री भी ली जा सकती है।
बिजनेस के लिए बेस्ट
अगर आप एक सफल उद्यमी बनना चाहते हैं तो भी बायो टैक्नालॉजी आपके लिए अच्छा क्षेत्र है। आप वैक्सिनेशन, फार्मास्यूटिकल, न्यूट्रीशनल प्रोडक्ट्स इत्यादि क्षेत्र में उद्योग स्थापित कर सकते हैं।अनुसंधान के क्षेत्र में जाने के लिए देश-विदेश दोनों ही स्तर पर काफी सुविधाएं उपलब्ध है। भारत के जाने माने संस्थान, सी.एस.आई.आर. एन.आई.आई, इन्स्टीट्यूट फॉर जिनोमिक रिसर्च एंड बायोटैक्नोलॉजी, सी.डी.आर.आई. आर.आई.एम.सी, सी.सी.एम.बी, सी.मैप में पोस्ट ग्रेजुएशन के पश्चात् रिसर्च कर सकते हैं। विभिन्न देशों में भारतीय छात्रों को रिसर्च करने के लिए छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है। यूजीसी, सी.एस.आई.आर, आई.सी.एम.आर, आई.ए.आर.आई. द्वारा भारत में रिसर्च करने के लिए एक अच्छी छात्रवृत्ति प्रदान की जाती है।
इन्फोर्मेटिक्स में अवसर
अगर टीचिंग में इन्ट्रेस्ट हो तो पोस्ट ग्रेजुएशन के पश्चात नेट क्वालिफाई करके कॉलेज, विश्वविद्यालयों में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति पाई जा सकती है। जिन क्षेत्रों में अधिक स्कोप रहने की संभावना है वे दवाइयों के विकास संबंधी फार्मा- बायोटैक और कृषि अनुसंधान से जुड़ा एग्री-बायोटेक है। बॉयो टेक्नोलॉजी में तीसरा क्षेत्र है बायो इन्फोर्मेटिक्स, दरअसल यह जीव विज्ञान एवं सूचना प्रोद्यौगिकी से तैयार नया वैज्ञानिक क्षेत्र है। अनुमान के मुताबिक सन् 2021 तक इसकी मांग बहुत बढ़ जाएगी।