देशभर में बड़ी संख्या में डमी स्कूलें हैं, जहां स्टूडेंट्स एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन पढऩे नहीं आते। वे बाहर कोचिंग सेंटर्स से ही तैयारी करते हैं। वहीं प्रैक्टिकल एग्जाम में उन्हें मार्क्स भी पूरे दे दिए जाते हैं। वहीं बहुत सी स्कूलों में लैब्स जैसी बेसिक फैसिलिटीज भी नहीं होती है। जयपुर में भी पिछले दिनों एक डमी स्कूल में सीबीएसई के इन्सपेक्शन के दौरान सिर्फ 3 स्टूडेंट ही प्रजेंट मिले थे और स्कूल ने उस दिन कुल 106 में से 103 बच्चों को प्रजेंट दिखाया था। बोर्ड के इस कदम से कई ऐसे कई स्कूलों के फर्जीवाड़े पर रोक लगेगी, जहां लैब्स ही नहीं है।
सीबीएसई ने स्कूलों से मांगा डेटा
बोर्ड ने देशभर की सीबीएसई स्कूलों को सर्कुलर जारी करते हुए उनकी फैकल्टी, प्रैक्टिकल सब्जेक्ट्स की लिस्ट और प्रैक्टिकल एग्जाम देने वाले स्टूडेंट्स का डेटा मांगा है।
स्टूडेंट्स को परेशानी
बोर्ड के इस कदम से स्टूडेंट्स को थोड़ी परेशानी जरूर होगी। प्रैक्टिकल एग्जाम्स के लिए करीब 20 परसेंट स्टूडेंट्स को 2 से 3 एग्जाम सेंटर्स पर प्रैक्टिकल देने होंगे। साथ ही टीचर्स के लिए भी इंटरनल और एक्सटर्नल फैकल्टी की डेट मैनेज करना चैलेंजिंग रहेगा।
सीबीएसई के इस इनिशिएटिव से देशभर में डमी स्कूलों पर लगाम लगेगी। स्कूलों को अब लैब और दूसरी सुविधाएं भी मैंटेन करनी होगी। फेयर प्रैक्टिकल एग्जाम होने से बच्चों को फायदा होगा, साथ ही स्कूलों में अटेंडेंस भी बढ़ेगी।
– प्रतिमा शर्मा, प्रिंसिपल, विद्याश्रम स्कूल